कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को प्रेस कांफ्रेस कहा कि कोरोना महामारी का सिर्फ स्थाई इलाज वैक्सीन है। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के लिए सिर्फ पीएम मोदी जिम्मेदार हैं।
नई दिल्ली। कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को प्रेस कांफ्रेस कर मोदी सरकार पर बड़ा हमला बोला है। पीएम मोदी ने कोविड-19 के खिलाफ भारत की जीत का इजहार किया था। कहा कि केंद्र सरकार को अभी तक कोरोना समझ नहीं आया है। राहुल गांधी ने कहा कि लॉकडाउन कोरोना का स्थायी समाधान नहीं है। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी का स्थाई समाधान सिर्फ वैक्सीन है। राहुल गांधी ने कहा कि लॉकडाउन, मास्क लगाना, सैनिटाइज करना स्थायी समाधान नहीं है। इस महामारी के लिए सिर्फ पीएम मोदी जिम्मेदार हैं। उन्होंने कहा कि देश में अभी केवल तीन फीसदी लोगों को वैक्सीन लग पाई है। यदि यही स्पीड रही तो 2024 तक भी हम देश की पूरी जनता का वैक्सीनेशन नहीं करवा पाएंगे।
LIVE: My interaction with members of the Press about GOI’s Covid vaccine disaster. https://t.co/YbC8iSe4aw
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) May 28, 2021
भारत की मृत्यु दर एक झूठ है। सरकार को सच बोलना चाहिए। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा कि सरकार ने अभी भी दरवाजा खोला है, अमेरिका ने अपनी आधी आबादी को वैक्सीन लगा दी। ब्राजील जैसे देश ने अपने 8 फीसदी लोगों का टीकाकरण कर दिया। ब्राजील तो वैक्सीन कैपिटल भी नहीं है, हम वैक्सीन कैपिटल हैं, हम वैक्सीन बनाते हैं।
राहुल गांधी ने कहा कि फरवरी में विशेषज्ञों द्वारा दिए जा रहे सुझावों को यदि केंद्र सरकार मान लेती सरकार कोराना महामारी का इतना भयंकर तांडव नहीं देखने को मिलता। उन्होंने कहा कि यदि इसके बाद भी हम नहीं सुधरे तो देश को कोरोना महारी तीसरी,चौथी,पांचवीं व छठीं लहर के लिए तैयार रहना होगा। गांधी ने कहा कि विक्षप को मोदी सरकार दुश्मन मान रही जो सही नहीं है। राहुल गांधी ने कहा कि कोरोना कोई राजनैतिक मुद्दा नहीं है। उन्होंने हम लगातार सरकार को सुझाव देते रहे, लेकिन सरकार कांग्रेस का मजाक बनाती रहीं। उन्होंने कहा कि यदि हमारी बात मान ली जाती तो लाखों लोगों की जान बचाई जा सकती थी।
कांग्रेस शासित राज्यों के बारे में बात करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि मैंने कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों से बात की है। उनसे कहा कि झूठ से उन्हें ही नुकसान होगा। हकीकत को स्वीकार करने की जरूरत है। वास्तविक मौत की संख्या परेशान करने वाली हो सकती है ,लेकिन हमें सच बोलने पर टिके रहना चाहिए।