कोलकता। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर कोलकता पहुंचे। इस दौरान वह कई कार्यक्रमों में भाग लिए। इस दौरान उन्होंने नेताजी सुभाष चंद्र बोस को श्रद्धांजलि दी। अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा कि, आज के ही दिन मां भारती की गोद में उस वीर सपूत ने जन्म लिया था, जिसने आजाद भारत के सपने को नई दिशा दी थी।
आज के ही दिन गुलामी के अंधेरे में वो चेतना फूटी थी, जिसने दुनिया की सबसे बड़ी सत्ता के सामने खड़े होकर कहा था, मैं तुमसे आजादी मांगूंगा नहीं छीन लूंगा। देश ने ये तय किया है कि अब हर साल हम नेताजी की जयंती यानी 23 जनवरी को पराक्रम दिवस के रूप में मनाया करेंगे।
हमारे नेताजी भारत के पराक्रम की प्रतिमूर्ति भी हैं और प्रेरणा भी हैं। पीएम मोदी ने कहा कि, ये मेरा सौभाग्य है कि 2018 में हमने अंडमान के द्वीप का नाम नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वीप रखा। देश की भावना को समझते हुए, नेताजी से जुड़ी फाइलें भी हमारी ही सरकार ने सार्वजनिक कीं।
ये हमारी ही सरकार का सौभाग्य रहा जो 26 जनवरी की परेड के दौरान आइएनएस विटरेन्स परेड में शामिल किया गया। आज हर भारतीय अपने दिल पर हाथ रखे, नेताजी सुभाष को महसूस करे, तो उसे फिर ये सवाल सुनाई देगा। क्या मेरा एक काम कर सकते हो।
ये काम, ये काज, ये लक्ष्य आज भारत को आत्मनिर्भर बनाने का है। देश का जन.जन, देश का हर क्षेत्र, देश का हर व्यक्ति इससे जुड़ा है।नेताजी सुभाष चंद्र बोस, गरीबी को, अशिक्षा को, बीमारी को, देश की सबसे बड़ी समस्याओं में गिनते थे।
हमारी सबसे बड़ी समस्या गरीबी, अशिक्षा, बीमारी और वैज्ञानिक उत्पादन की कमी है।इन समस्याओं के समाधान के लिए समाज को मिलकर जुटना होगा, मिलकर प्रयास करना होगा। नेताजी आत्मनिर्भर भारत के सपने के साथ ही सोनार बांग्ला की भी सबसे बड़ी प्रेरणा हैं।
जो भूमिका नेताजी ने देश की आजादी में निभाई थी, वही भूमिका पश्चिम बंगाल को आत्मनिर्भर भारत में निभानी है। आत्मनिर्भर भारत का नेतृत्व आत्मनिर्भर बंगाल और सोनार बांग्ला को भी करना है।