आतंकवाद और आतंकवादियों को आसरा देना पाकिस्तान के लिए अब महंगा पड़ता नजर आ रहा है। भारत संयुक्त राष्ट्र में कई बार इस मामले को उठा चुका है, लेकिन पाकिस्तान मानने को तैयार नहीं था, लेकिन अब अमेरिका ने पाकिस्तान का चेहरा बेनकाब किया है।
नई दिल्ली। आतंकवाद और आतंकवादियों को आसरा देना पाकिस्तान के लिए अब महंगा पड़ता नजर आ रहा है। भारत संयुक्त राष्ट्र में कई बार इस मामले को उठा चुका है, लेकिन पाकिस्तान मानने को तैयार नहीं था, लेकिन अब अमेरिका ने पाकिस्तान का चेहरा बेनकाब किया है।
अमेरिकी सांसद ने कहा कि अफगानिस्तान में तालिबान के जड़ें जमाने के पीछे पाकिस्तान का बड़ा हाथ है। पाकिस्तान से ही तालिबान नियंत्रित हो रहा है। सीनेट आर्म्ड सर्विस कमेटी के अध्यक्ष जैक रीड ने गुरुवार को संसद में बताया कि तालिबान के बढ़ने में बहुत बड़ा योगदान पाकिस्तान से मिल रही सुरक्षित पनाहगाह है। अमेरिका इसे खत्म करने में असफल रहा है।
बता दें कि पिछले दिन व्हाइट हाउस की ओर से एक बयान जारी किया गया था । इसमें युद्धग्रस्त देश से 11 सितंबर तक अपने सभी सैनिकों को वापस बुलाने की बात कही गई है। बाइडेन प्रशासन की ओर से जारी बयान के बाद सांसद ने पाकिस्तान के बारे में खुलासा किया है। अमेरिकी सांसद रीड ने कहा कि जैसा कि अफगान स्टडी समूह की ओर से बताया गया कि आतंकवाद के लिए ये पनाहगाह जरूरी हैं। इसके अलावा पाकिस्तान की आईएसआई ने मौके का फायदा उठाने के लिए अमेरिका के साथ सहयोग करते हुए तालिबान की मदद की।
अफगानिस्तान में भारी तबाही
उन्होंने कहा कि 2018 के आंकलन को देखें तो पाकिस्तान ने सैन्य और खुफिया सहयोग दिया है। जिससे अमेरिकी सैनिक, अफगान सुरक्षा बल के जवान और नागरिक मारे गए और अफगानिस्तान में भारी रक्तपात मचा। उन्होंने आगे बताया कि तालिबान को यह समर्थन पाकिस्तान की ओर से अमेरिका के सहयोग के विरोधाभासी है।