छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर विनय कुमार पाठक ने प्राविधिक शिक्षा व्यवस्था पर कुंडली कस रखी है। कहीं नियमों की शिथिलता का लाभ उठाया और कहीं धता बता दिया। भारत के राजपत्र: असाधारण-2012 और आंशिक संशोधन के साथ 2019 में जारी राजपत्र के नियमों को हवा में उड़ा दिया।
लखनऊ। छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर विनय कुमार पाठक (Vice Chancellor Professor Vinay Kumar Pathak)ने प्राविधिक शिक्षा व्यवस्था पर कुंडली कस रखी है। कहीं नियमों की शिथिलता का लाभ उठाया और कहीं धता बता दिया। भारत के राजपत्र : असाधारण-2012 और आंशिक संशोधन के साथ 2019 में जारी राजपत्र के नियमों को हवा में उड़ा दिया।
इसके बाद पूरी प्राविधिक शिक्षा व्यवस्था पर कर लिया कब्जा, फिर जो चाहा वह किया
वह किया अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय (AKTU) के कुलपति रहते हुए प्रोफेसर विनय पाठक ने जो चाहा वह किया । प्रोफेसर पाठक ने खुद को इंजीनियरिंग कॉलेज के प्राचार्य निदेशकों की चयन समिति का सदस्य नामित कर लिया। फिर निदेशक पद के लिए अपने से स्क्रीनिंग की और मनमाने ढंग से मनपसंद लोगों को निदेशक नियुक्त कर दिया। जिससे पूरी प्राविधिक शिक्षा व्यवस्था पर कब्जा हो गया। इन निदेशकों से मनमाने ढंग से भर्ती कराई और तीन से चार सौ करोड़ रुपए की खरीददारी कराई और मनचाहे निर्माण कराए गए।
2010 तक सोसाइटी के चेयरमैन होते थे मुख्यमंत्री
उत्तर प्रदेश के सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज, इंस्टिट्यूट सोसाइटी एक्ट के तहत संचालित होते हैं। 2010 तक सोसाइटी के चेयरमैन मुख्यमंत्री होते थे। सीएम की व्यस्तताओं के चलते चेयरमैन का जिम्मा मुख्य सचिव फिर प्राविधिक शिक्षा मंत्री को दिया। विश्व बैंक ने तकनीकी शिक्षा गुणवत्ता सुधार कार्यक्रम (टीईक्यू आईपी) के तहत जब बेशुमार धन आवंटित करना शुरू किया। तो उसने एक राइटर भी लगाया कि कालेजों का कॉलेजों की सोसायटी का चेयरमैन उस क्षेत्र का अथवा विषय विशेषज्ञ, उद्योगपति, अभिनव प्रयोग करने वाले व्यक्ति ही होना चाहिए। प्रमुख सचिव प्राविधिक शिक्षा पदेन उपाध्यक्ष होंगे।
पहले 2012 से फिर आंशिक संशोधन के साथ 2019 में जारी हुआ नया राजपत्र
इसके बाद से सभी राजनीतिक व्यक्ति अध्यक्ष पद से हटा दिए गए। प्राविधिक शिक्षा की बेहतरी के लिए सरकारी कॉलेजों के प्रोफेसर से लेकर प्राचार्य निदेशक पद तक अर्हता और चयन समिति में कौन होगा? इसकी स्पष्ट गाइडलाइन जारी की गई। पहले 2012 से फिर आंशिक संशोधन के साथ 2019 में नया राजपत्र जारी हुआ। इसमें कहा गया निदेशक/ प्राचार्य नियुक्त के लिए जो चयन समिति बनेगी, उसमें सोसायटी कर चेयरमैन पदेन अध्यक्ष होगा। विभिन्न क्षेत्र के विशेषज्ञ अध्यक्ष होंगे। ये इंजीनियरिंग कॉलेज जिस विश्वविद्यालय से संबद्ध होंगे। उस विश्वविद्यालय के तीन सदस्यों को नामांकन कुलपति के नेतृत्व वाले निकाय से होगा। कुलपति द्वारा नामित उनका एक प्रतिनिधि चयन बोर्ड का सदस्य होगा।
निदेशक चयन बोर्ड में कौन
शासी निकाय (कालेज सोसाइटी बोर्ड) का अध्यक्ष चेयरमैन होगा।
संबंधित विश्वविद्यालय के कुलपति का नामित प्रतिनिधि स्पष्ट लिखा है कि कुलपति का नामित प्रतिनिधि होना चाहिए।
महाविद्यालय (इंजीनियरिंग कॉलेज) के शासी निकाय के दो सदस्यों जिन्हें निकाय का अध्यक्ष नामित करेगा। इसमें एक अकादमिक प्रशासन का विशेषज्ञ होना चाहिए।
तीन विशेषज्ञ होंगे। संबंधित विश्वविद्यालय के प्रसार प्रासंगिक निकाय का सदस्य जो प्रोफेसर से नीचे का ना हो और एक शिक्षाविद (जिसे महाविद्यालय नामित करेगा)।
एससी, ओबीसी, अल्पसंख्यक, महिला, दिव्यांग का प्रतिनिधित्व करने वाला शिक्षाविद भी होगा। शर्त ये है कि इस वर्ग का अभ्यर्थी हो।
संबंधित विश्वविद्यालय के कुलपति का नामित प्रतिनिधि स्पष्ट लिखा है कि कुलपति का नामित प्रतिनिधि होना चाहिए।