गुजरात के 68 जजों के प्रमोशन पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की रोक लगा दी है। इसके बाद गुजरात हाई कोर्ट (Gujarat High Court) ने नई सूची जारी की है। इसमें हाई कोर्ट ने 68 जजों की प्रमोशन सूची से 40 जजों को बाहर करते हुए उन्हें वापस पुराने पदों पर भेजा दिया है। इसके अलावा हाई कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के आदेश के अनुसार प्रमोशन के लिए योग्य पाए गए बाकी 28 जजों की अलग सूची जारी की हैं।
नई दिल्ली। गुजरात के 68 जजों के प्रमोशन पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की रोक लगा दी है। इसके बाद गुजरात हाई कोर्ट (Gujarat High Court) ने नई सूची जारी की है। इसमें हाई कोर्ट ने 68 जजों की प्रमोशन सूची से 40 जजों को बाहर करते हुए उन्हें वापस पुराने पदों पर भेजा दिया है। इसके अलावा हाई कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के आदेश के अनुसार प्रमोशन के लिए योग्य पाए गए बाकी 28 जजों की अलग सूची जारी की हैं। इनमें उन्हें तैनाती दी गई है। प्रमोशन की प्रक्रिया के विवाद में आने और सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के फैसले के बाद 40 जजों के नामों का चयन फिर से किया जाएगा।
CJI चंद्रचूड़ ने क्या कहा?
चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) ने कहा कि यह ऐसे मसले हैं, जो वापस लिये जा सकते हैं और इन्हें रिटायरमेंट पर देय राशि मिलेगी। इस पर एडवोकेट मीनाक्षी अरोड़ा ने कहा कि यह बहुत अपमान वाली बात भी है। कम से कम, भारत के तमाम राज्यों में यही तरीका है। यूपी में भी यही तरीका है। दलील सुनने के बाद जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि मैं मामले को दूसरी बेंच को को री-असाइन करूंगा। उन्होंने कहा कि मामले पर जुलाई में सुनवाई होगी।
राहुल गांधी को दो साल की सजा सुनाने वाले जज हरीश वर्मा की प्रोन्नति बरकरार
मोदी सरनेम मानहानि केस में कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Congress leader Rahul Gandhi) को दो साल की सजा सुनाने वाले जज एच एच वर्मा का प्रमोशन सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के फैसले से प्रभावित नहीं हुआ है। वर्मा सहित अन्य 27 जजों की प्रोन्नति बरकरार रखी गई है, क्योंकि इन सभी के लिखिल परीक्षा में 124 अंक या इससे अधिक हैं। वर्मा ने लिखिल परीक्षा में 127 अंक हासिल किए थे। पहले की सूची में एच एच वर्मा को प्रोन्नति देकर राजकोट भेजा गया था। नई सूची में भी जज एच एच वर्मा की तैनाती राजकोट में रखी गई है। वे वहां पर बतौर एडीशन डिस्ट्रिक्ट एंड एडीशन सेशंस जज के तौर पर काम करेंगे।
क्यों रद्द करना पड़ा प्रमोशन?
40 जजों का प्रमोशन सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के 12 मई के आदेश के बाद रद्द हुआ। 12 मई को एक याचिका पर सुनवाई करते हुए उच्चतम न्यायालय ने गुजरात के डिस्ट्रिक्ट जज कैडर में सीनियॉरिटी कम मेरिट आधार पर हुए प्रमोशन पर रोक लगा दी थी और ऐसे जजों को उनके पुराने पद पर वापस भेजने का आदेश दिया था, जिनका चयन मेरिट कम सीनिययॉरिटी की जगह सीनियॉरिटी कम मेरिट आधार पर हुआ था। गुजरात हाईकोर्ट ने इसी आदेश का पालन करते 15 मई को प्रमोशन और डिमोशन वाली दो लिस्ट जारी की थी।
कहां से शुरू हुआ विवाद ?
गुजरात हाईकोर्ट (Gujarat High Court) ने 10 मार्च, 2023 को राज्य के जिला जज कैडर में प्रमोशन की एक लिस्ट जारी की। इनमें 68 जजों के नाम थे। इन जजों का चयन 65% कोटा के तहत किया गया था। बाद में गुजरात सरकार के ही दो अफसर इस प्रमोशन लिस्ट के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट चले गए थे। गुजरात सरकार के लीगल डिपार्टमेंट में अंडर सेक्रेटरी रवि कुमार मेहता गुजरात स्टेट लीगल सर्विसेज अथॉरिटी (Gujarat State Legal Services Authority) में असिस्टेंट डायरेक्टर सचिन प्रताप राय मेहता ने आरोप लगाया कि हाईकोर्ट ने प्रमोशन के लिए सूटेबिलिटी टेस्ट (परीक्षा) और मेरिट कम सीनियॉरिटी मानक रखा था। जबकि प्रमोशन सीनियॉरिटी कम मेरिट आधार पर हुआ।
दो अफसरों ने दिया था अपना उदाहरण
दोनों अफसरों का आरोप था कि चूंकि मानक ही बदल दिये गए, ऐसे में परीक्षा में ज्यादा अंक हासिल करने वाले कैंडिडेट प्रमोशन से वंचित रह गए, जबकि कम अंक पाने वाले जजों को प्रमोशन मिल गया। रवि कुमार मेहता को 200 अंकों की परीक्षा में 135.5 अंक मिले थे। जबकि सचिन प्रताप राय मेहता ने 200 में से 148.5 अंक हासिल किये थे। लेकिन प्रमोशन वाली लिस्ट में उनका नाम नहीं था। जबकि 100 से थोड़ा ज्यादा अंक हासिल करने वाले कैंडिडेट्स को भी प्रमोशन मिल गया था।
फैसला देने वाले शाह सेवानिवृत्त
तो वहीं दूसरी गुजरात की ज्यूडिशरी में अपने फैसले से हड़कंप मचाने वाले जस्टिस एम आर शाह को सेवानिवृत्त हो गए हैं। सुप्रीम कोर्ट में आखिरी बार बेंच पर बैठने के दौरान आंखों में आंसू आ गए। जस्टिस शाह ने कहा कि मैं एक नारियल की तरह हूं । अगर मैं रोना शुरू कर दूं तो कृपया मुझे माफ करें। बार के सभी सभी सदस्यों का तहे दिल से धन्यवाद। शाह ने कहा कि मैं सेवानिवृत्त होने वाला व्यक्ति नहीं हूं। मैं एक नई पारी शुरू करूंगा और मैं इस पारी के लिए (ईश्वर से) अच्छे स्वास्थ्य की प्रार्थना करता हूं। इसके बाद उन्होंने राज कपूर की फिल्म मेरा नाम जोकर की कुछ पंक्तियां पढ़ीं, कल खेल में हम हो ना हों। गर्दिश में तारे रहेंगे सदा। शाह का जन्म 16 मई, 1958 को हुआ था। उन्होंने लंबे समय तक वकालत की थी। इसके बाद वे गुजरात हाई कोर्ट के जज और फिर पटना हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस बनने के बाद सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) पहुंच थे।