पंजाब कांग्रेस में चल रहे घमासान हर दिन एक नई बात सामने आ जाती है। कभी नवजोत सिंह सिद्धू का पलड़ा भारी दिखता है तो कभी कैप्टन अमरिंदर बाजी जीतते दिखते हैं।
नई दिल्ली: पंजाब कांग्रेस में चल रहे घमासान हर दिन एक नई बात सामने आ जाती है। कभी नवजोत सिंह सिद्धू का पलड़ा भारी दिखता है तो कभी कैप्टन अमरिंदर बाजी जीतते दिखते हैं। बीच बीच में कुछ बड़े कांग्रेसी नेताओं की बयानबाजियां से ऐसी अफरा तफरी मच जाती है कि लगता है कि पंजाब कांग्रेस बागड़ोर किसी तीसरे के हाथ् में चली जाएगी। इसी राजनीतिक घमासान के बीच पंजाब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मनीष तिवारी ने अध्यक्ष पद के लिए पूर्व मंत्री सिद्धू के नाम की चर्चा के बीच शुक्रवार को प्रदेश की आबादी का धार्मिक एवं जातिगत आंकड़ा पेश किया। परोक्ष रूप से इस बात का समर्थन किया कि इस पद की जिम्मेदारी हिंदू समुदाय के किसी नेता को मिलनी चाहिए। कांग्रेस के नेता पवन दीवान ने भी कहा है कि प्रदेश अध्यक्ष के पद पर हिंदू समुदाय के किसी नेता को होना चाहिए।
तिवारी ने ट्वीट किया, ‘‘पंजाब एक प्रगतिशील और धर्मनिरपेक्ष राज्य है. लेकिन सामाजिक समूहों के बीच संतुलन बनाना अहम है। समानता ही सामाजिक न्याय की बुनियाद है।” उन्होंने कहा कि पंजाब में 57.75 प्रतिशत सिख हैं और हिंदू एवं दलित समुदायों की आबादी क्रमश: 38.49 प्रतिशत और 31.94 प्रतिशत है। लोकसभा सदस्य तिवारी ने अपने ट्वीट को कांग्रेस के पंजाब प्रभारी हरीश रावत को टैग किया। अगर कांग्रेस आलाकमान सिद्धू को प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाता है तो मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष, दोनों पदों पर जट सिख समुदाय के नेता होंगे। अमरिंदर सिंह और सिद्धू दोनों जट सिख हैं। मौजूदा समय में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सुनील जाखड़ हैं।
गौरतलब है कि पंजाब में कांग्रेस में अंदरूनी कलह बढ़ने के बीच राज्य के प्रमुख कांग्रेस नेता और पूर्व क्रिेकेटर नवजोत सिद्धू ने आज दिल्ली में पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की। इस बैठक में राहुल गांधी और कांग्रेस महासचिव हरीश रावत भी मौजूद रहे। गुरुवार को उस समय सियासी सरगर्मियां और तनाव बढ़ गया था जब सिद्धू के ‘संभावित प्रमोशन’ और पंजाब कैबिनेट में ‘हलचल’ की खबरें सामने आईं। रात 9 बजे के करीब अमरिंदर और सिद्धू खेमे के विधायकों ने एकत्र होकर अलग अलग बैठक कीं।