अमृतसर। नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) की पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष (Punjab Congress President) के पद पर ताजपोशी हो गई है। उन्होंने शुक्रवार कैप्टन अमरिंदर (Captain Amarinder) सिंह की मौजूदगी में अपना पदभार ग्रहण कर लिया है। पंजाब कांग्रेस (Punjab Congress) की कमान संभालने के बाद सिद्धू के तेवर काफी तल्ख थे। उन्होंने इस मौके पर किसान आंदोलन से लेकर महंगाई तक के मुद्दे पर केंद्र की मोदी सरकार पर हमला बोला।
इसके साथ ही उन्होंने कहा पंजाब कांग्रेस का हर एक कार्यकर्ता आज से प्रधान बन गया है। वहीं, इस दौरान कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। उन्होंने भी अपने संबोधन में सिद्धू से चल रहे विवाद को खत्म करने का इशारा किया। बता दें कि, ताजपोशी से पहले सिद्धू और कैप्टन की मुलाकात चाय पार्टी के दौरान हुई थी। इस दौरान दोनों के बीच बातचीत हुई और सिद्धू ने पैर छुकर कैप्टन से आशीर्वाद भी लिया।
वहीं, दोनों नेताओं के मिलने के बाद कांग्रेस कार्यकर्ताओं में भी खुशी की लहर दिख रही है। दरअसल, इनके बीच काफी दिनों से विवाद चल रहा था। इसके कारण दोनों नेता एक दूसरे की आलोचना करते रहते थे। चुनाव से पहले दोनों नेताओं के एक होने से कांग्रेस को बड़ा लाभ मिलेगा। हालांकि, इन सबके बीच आइए जानते हैं नवजोत सिंह सिद्धू की क्रिकेट (cricketer) से राजनीति (Politics) में किस तरह से एंट्री हुई थी।
इस तरह हुई रानजीति में एंट्री
क्रिकेट के मैदान में बेहतरीन पारी खेलने वाले नवजोत सिंह सिद्धू अब राजनीति में लंबी पारी खेलने के मूड में दिख रहे हैं। सिद्धू की राजनीति में एंट्री वर्ष 2004 में हुई थी। उन्होंने भाजपा के टिकट पर पहली बार कांग्रेस के दिग्गज नेता रघुनंदन लाल भाटिया को बड़े अंतर से हराया था। इसके बाद से पंजाब की राजनीति में सिद्धू एक बड़ा चेहरा बनकर उभरे थे। वहीं, लोकसभा चुनाव 2014 में सिद्घू को भाजपा से टिकट नहीं मिला, जबकि उन्हें राज्यसभा का सदस्य बनाया गया। हालांकि, उन्होंने 2017 में राज्यसभा सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था और 2017 में कांग्रेस का दामन थाम लिए। वहीं, कांग्रेस की पंजाब में सरकार बनने के बाद कैप्टन से मतभेद के बाद उन्होंने कैबिनेट मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था।
अरुण जेटली ने सिद्धू को BJP में कराया था शामिल
नवजोत सिंह सिद्धू की एंट्री अरुण जेटली ने कराई थी। 2004 में अरुण जेटली ने उन्हें भाजपा की सदस्यता दिलाई थी। इसके बाद सिद्धू हमेश उन्हें अपना राजनीति गुरु माना।