लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने गुरुवार को कहा कि वह व्यापार विरोधी नहीं हैं, जैसा कि भाजपा कह रही है, बल्कि वह एकाधिकार और अल्पाधिकार बनाने के विरोधी हैं। राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने कहा कि मैंने अपना करियर एक प्रबंधन सलाहकार के रूप में शुरू किया और मैं समझता हूं कि किसी व्यवसाय को सफल बनाने के लिए किस तरह की चीजों की आवश्यकता होती है।
नई दिल्ली। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने गुरुवार को कहा कि वह व्यापार विरोधी नहीं हैं, जैसा कि भाजपा कह रही है, बल्कि वह एकाधिकार और अल्पाधिकार बनाने के विरोधी हैं। राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने कहा कि मैंने अपना करियर एक प्रबंधन सलाहकार के रूप में शुरू किया और मैं समझता हूं कि किसी व्यवसाय को सफल बनाने के लिए किस तरह की चीजों की आवश्यकता होती है। इसलिए मैं बस दोहराना चाहता हूं, मैं व्यापार विरोधी नहीं हूं, मैं एकाधिकार विरोधी हूं। वीडियो के साथ अपने पोस्ट में गांधी ने कहा कि मैं नौकरियों का समर्थक हूं, व्यापार का समर्थक हूं, नवाचार का समर्थक हूं, प्रतिस्पर्धा का समर्थक हूं। मैं एकाधिकार का विरोधी हूं। राहुल गांधी आगे लिखते हैं कि हमारी अर्थव्यवस्था तभी फलेगी-फूलेगी जब सभी व्यवसायों के लिए स्वतंत्र और निष्पक्ष स्थान होगा।
I am pro-Jobs, pro-Business, pro-Innovation, pro-Competition. I am anti-Monopoly.
Our economy will thrive when there is free and fair space for all businesses. pic.twitter.com/hySqQKpRdJ
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) November 7, 2024
समाचार पत्र में लेख लिखने के बाद राहुल गांधी ने की टिप्पणी
लेख पर मचे बवाल के बाद राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने नया दावा किया है। उन्होंने कहा कि कई व्यवसायी उन्हें बता रहे हैं कि एक मंत्री उन्हें फोन करके पीएम मोदी और सरकार के बारे में अच्छी बातें बोलने के लिए मजबूर कर रहे हैं।
After my article, many play-fair businesses are telling me that a senior Minister has been calling and forcing them to say good things on social media about PM Modi and the govt's programs.
Proves my point exactly!
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) November 7, 2024
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राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की ये टिप्पणी एक समाचार पत्र में एक लेख लिखने के एक दिन बाद आई है, जिसमें उन्होंने कहा था कि मूल ईस्ट इंडिया कंपनी 150 साल पहले खत्म हो गई थी, लेकिन उसके बाद पैदा हुआ डर फिर से वापस आ गया है, क्योंकि एकाधिकारियों की एक नई नस्ल ने उसकी जगह ले ली है। हालांकि, राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने जोर देकर कहा था कि प्रगतिशील भारतीय व्यापार के लिए एक नया सौदा एक ऐसा विचार है जिसका समय आ गया है।
राहुल गांधी ने क्या लिखा, जिस पर बवाल
दरअसल, राहुल गांधी (Rahul Gandhi) का बुधवार को अंग्रेजी दैनिक ‘इंडियन एक्सप्रेस’ में एक लेख छपा। जिसमें उनका कहना है कि ‘ईस्ट इंडिया कंपनी’ (East India Company) भले ही बहुत पहले खत्म हो गई हो, लेकिन उसने जो डर पैदा किया था, वह आज फिर से दिखाई देने लगा है और एकाधिकारवादियों की एक नयी पीढ़ी ने उसकी जगह ले ली है। इसमें उन्होंने कुछ ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य का उल्लेख भी किया था। उन्होंने लिखा है कि ईस्ट इंडिया कंपनी भारत में इसलिए फल-फूली, क्योंकि राजघरानों ने उन्हें ऐसा करने दिया। राजघरानों को डरा-धमकाकर और घूस खिलाकर ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत में अपनी जड़े जमाईं और व्यवसाय को आगे बढ़ाया।
सिंधिया और दिया कुमारी ने साधा निशाना
उनके इस लेख पर केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (Union Minister Jyotiraditya Scindia) ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया कि ‘नफरत बेचने वालों को भारतीय गौरव और इतिहास पर व्याख्यान देने का कोई अधिकार नहीं है। भारत की समृद्ध विरासत के बारे में उनकी (राहुल की) अज्ञानता और उनकी औपनिवेशिक मानसिकता ने सभी सीमाएं पार कर ली हैं। उन्होंने कहा,कि यदि आप राष्ट्र के ‘उत्थान’ का दावा करते हैं, तो भारत माता का अपमान करना बंद करें और महादजी सिंधिया, युवराज बीर टिकेंद्रजीत, कित्तूर चेन्नम्मा और रानी वेलु नचियार जैसे सच्चे भारतीय नायकों के बारे में जानें, जिन्होंने हमारी आजादी के लिए जमकर लड़ाई लड़ी। सिंधिया ने राजघराने से जुड़े इतिहास का हवाला देते हुए बृहस्पतिवार को दावा किया कि सिंधिया परिवार ने आमतौर पर अंग्रेजी हुकूमत के साथ सहयोग की नीति अपनाई थी।
वहीं, राजस्थान की उपमुख्यमंत्री दिया कुमारी (Rajasthan’s Deputy Chief Minister Diya Kumari) ने राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के पूर्व राजपरिवारों पर टिप्पणी वाले लेख की निंदा करते हुए कहा है कि इस लेख के जरिए पूर्व राजपरिवारों की छवि को धूमिल करने के प्रयास किया गया है। दिया कुमारी (Diya Kumari) ने गुरुवार को अपने बयान में कहा कि राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने अंग्रेज़ी औऱ हिन्दी अखबारों में अपने लेख के माध्यम से पूर्व राजपरिवारों पर सारहीन आरोप लगाया है कि महाराजाओं को रिश्वत देकर अंग्रेजों ने भारत पर शासन किया। उन्होंने कहा कि इस लेख के जरिए पूर्व राजपरिवारों की छवि को धूमिल करने के प्रयास किया गया है जिसकी वह निंदा करती हैं।