लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री वीरेंद्र कुमार (Union Minister of Social Justice and Empowerment Virendra Kumar) को एक पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होंने बीजेपी सरकार पर जानबूझकर सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने वाली संवैधानिक संस्थाओं में अहम पदों को खाली रखने के आरोप लगाए हैं।
नई दिल्ली। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री वीरेंद्र कुमार (Union Minister of Social Justice and Empowerment Virendra Kumar) को एक पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होंने बीजेपी सरकार पर जानबूझकर सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने वाली संवैधानिक संस्थाओं में अहम पदों को खाली रखने के आरोप लगाए हैं।
राहुल ने कहा कि देश में हजारों दलित-पिछड़े न्याय की लड़ाई लड़ रहे हैं। हर जगह जातिगत जनगणना की मांग गूंज रही है। ऐसे वक्त में बीजेपी सरकार के तरफ से जानबूझकर सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने वाली संवैधानिक संस्थाओं में अहम पदों को ख़ाली रखना उनकी दलित-पिछड़ा विरोधी मानसिकता को दिखाता है। उन्होंने कहा कि मैं केंद्र की मोदी सरकार से आग्रह करता हूं कि वो एनसीएससी और एनसीबीसी (NCSC-NCBC) में रिक्तियों को जल्द से जल्द भरकर संस्थानों को उनके संवैधानिक जनादेश को पूरा करने के लिए सशक्त बनाए।
देशभर में हज़ारों दलित-पिछड़े न्याय की लड़ाई लड़ रहे हैं। हर जगह जातिगत जनगणना की मांग गूंज रही है।
ऐसे वक्त में भाजपा सरकार द्वारा जानबूझकर सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने वाली संवैधानिक संस्थाओं में अहम पदों को ख़ाली रखना उनकी दलित-पिछड़ा विरोधी मानसिकता को दिखाता है।
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— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) March 3, 2025
राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने लिखा कि मुझे उम्मीद है कि आपको ये पत्र अच्छा लगेगा। मैं राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (NCSC) और राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (NCBC) में खाली जगहों के बारे में लिख रहा हूं। उन्होंने कहा कि संविधान में एनसीएससी और एनसीबीसी के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति का प्रावधान है। 7वें एनसीएससी के अध्यक्ष और दो सदस्यों की नियुक्ति 3 मार्च, 2024 को की गई थी। उपाध्यक्ष का पद एक साल से खाली है। इसके अलावा पिछले आयोगों में कम से कम दो सदस्य थे।
दलित भाइयों और बहनों के अधिकारों की रक्षा और संरक्षण में NCSC की अहम भूमिका
उन्होंने आगे लिखा कि हमारे दलित भाइयों और बहनों के अधिकारों की रक्षा और संरक्षण में एनसीएससी की अहम भूमिका है। पिछले कुछ साल में देश में हजारों लोगों ने न्याय के लिए एनसीएससी के दरवाजे खटखटाए हैं। आयोग ने रोजगार, शिक्षा तक पहुंच और अत्याचारों की रोकथाम सहित दलितों की सामाजिक और आर्थिक उन्नति में बाधा डालने वाले मुद्दों को सक्रिय रूप से उठाया है।
एनसीएससी को जानबूझकर कमजोर करने की कोशिश , सरकार की दलित विरोधी मानसिकता उजागर
उन्होंने आगे कहा कि एनसीएससी को जानबूझकर कमजोर करने की कोशिश इस सरकार की दलित विरोधी मानसिकता को उजागर करती है। इसी तरह एनसीबीसी के उपाध्यक्ष का पद करीब तीन साल से खाली पड़ा है। एनसीबीसी एक अध्यक्ष और एक सदस्य के साथ काम कर रहा है। 1993 में स्थापना के बाद से एनसीबीसी में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष/सदस्य-सचिव के अलावा कम से कम तीन सदस्य रहे हैं। ऐसे समय में जब देश भर में जाति जनगणना की मांग तेज हो गई है, यह जानबूझकर की गई चूक चौंकाने वाली है। देश के लिए समावेशी दृष्टिकोण के केंद्र में सामाजिक न्याय होना चाहिए।