Ramnami Samaj : अयोध्या में भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह की तैयारियों के बीच छत्तीसगढ़ का रामनामी समाज (Ramnami Samaj) एक बार फिर चर्चा में है। इस समाज के लोग अपने शरीर लगभग सभी भागों में भगवान राम का नाम गुदवा लेते हैं। वहीं, मध्य-प्रदेश के पूर्व सीएम और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह (Congress Leader Digvijay Singh) ने इस समाज के लोगों को सबसे बड़ा रामभक्त बताया है।
Ramnami Samaj : अयोध्या में भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह की तैयारियों के बीच छत्तीसगढ़ का रामनामी समाज (Ramnami Samaj) एक बार फिर चर्चा में है। इस समाज के लोग अपने शरीर लगभग सभी भागों में भगवान राम का नाम गुदवा लेते हैं। वहीं, मध्य-प्रदेश के पूर्व सीएम और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह (Congress Leader Digvijay Singh) ने इस समाज के लोगों को सबसे बड़ा रामभक्त बताया है।
कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह (Congress Leader Digvijay Singh) ने अपनी एक्स पोस्ट में लिखा, ‘परसूराम जी को अनुसूचित जाति के होने के कारण 1890 में उन्हें मंदिर में प्रवेश नहीं दिया गया। दुखी हो कर उन्होनें अपने कपाल व पूरे शरीर पर “राम” गुदवा लिया। वहीं से रामनामी संप्रदाय स्थापित हुआ। आज भी छत्तीसगढ़ में रामनामी संप्रदाय के लोग अपने पूरे शरीर पर “राम” गुदवा लेते हैं। इनसे बड़ा राम भक्त कौन हो सकता है।’ उन्होंने आगे सवाल किया कि ‘क्या इन्हें पीएम नरेंद्र मोदी और विश्व हिन्दू परिषद ने आमंत्रित किया था?’
परसूराम जी को अनुसूचित जाति के होने के कारण १८९० में उन्हें मंदिर में प्रवेश नहीं दिया गया। दुखी हो कर उन्होनें अपने कपाल व पूरे शरीर पर “राम” गुदवा लिया। वहीं से रामनामी संप्रदाय स्थापित हुआ। आज भी छत्तीसगढ़ में रामनामी संप्रदाय के लोग अपने पूरे शरीर पर “राम” गुदवा लेते हैं।… pic.twitter.com/x3jIjqDRbg
— digvijaya singh (@digvijaya_28) January 19, 2024
बता दें कि कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर लगातार भाजपा और विहिप पर निशाना साध रहे हैं। वहीं, कांग्रेस की ओर से समारोह का न्योता अस्वीकार करने पर उन्होंने कहा था कि उन्हें भगवान राम में आस्था है और भगवान राम के दर्शन की कोई जल्दी नहीं है। एक बार आयोध्या राम मंदिर का निर्माण पूरा हो जाए तो वे वहां जाएंगे।
दिग्विजय सिंह ने यह भी कहा कि उन्हें भगवान राम के दर्शन के लिए निमंत्रण की आवश्यकता नहीं है और हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार निर्माणाधीन मंदिर में प्रतिष्ठा समारोह नहीं हो सकता है।