देश में कोरोना वायरस से निपटने के उपायों में भी तेजी लाई जा रही है। जहां कुछ कंपनियां हर हजारों मीट्रिक टन मेडिकल ऑक्सीजन उपलब्ध करा रही हैं। तो वहीं, कोरोना संक्रमण के इलाज में कारगर मानी जा रही दवाइयों के उत्पादन में भी बढ़ोत्तरी की जा रही है।
नई दिल्ली। देश में कोरोना वायरस से निपटने के उपायों में भी तेजी लाई जा रही है। जहां कुछ कंपनियां हर हजारों मीट्रिक टन मेडिकल ऑक्सीजन उपलब्ध करा रही हैं। तो वहीं, कोरोना संक्रमण के इलाज में कारगर मानी जा रही दवाइयों के उत्पादन में भी बढ़ोत्तरी की जा रही है। इसी कड़ी में फार्मा कंपनी बायोकॉन की मुखिया किरण मजूमदार शॉ ने बताया कि रेमडेसिविर की कमी को दूर करने के लिए कंपनी की उत्पादन क्षमता में इजाफा किया जा रहा है।
कोविड-19 की दूसरी लहर करने में करेगी मदद
बायोकॉन की एग्जिक्यूटिव चेयरपर्सन किरण मजूमदार शॉ ने उम्मीद जताई कि मई के दूसरे सप्ताह के आखिर तक देश में इस दवा की कमी को दूर कर लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि इससे भारत में कोविड-19 की दूसरी लहर से निपटने में मदद मिलेगी। बता दें कि डॉक्टर्स रेमडेसिविर को कोरोना मरीजों के इलाज में सबसे कारगर दवा मान रहे हैं। वहीं, जनवरी और फरवरी में इस दवा के उत्पादन को रोक दिया गया था, क्योंकि इसे बनाकर ज्यादा दिन तक सुरक्षित नहीं रखा जा सकता है।
जेनटेक लाइफसाइंसेस कर रही है रेमडेसिविर का उत्पादन
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी 27 अप्रैल को कहा था कि महाराष्ट्र के वर्धा में फार्मास्युटिकल्स कंपनी जेनटेक लाइफसाइंसेस रेमडेसिविर इंजेक्शन का 28 अप्रैल से उत्पादन शुरू कर देगी। उन्होंने कहा था कि कंपनी रोजाना रेमडेसिविर की 30,000 शीशी तैयार करेगी। बता दें कि देश में अस्पतालों में गंभीर स्थिति में भर्ती कोविड-19 के संदिग्ध मरीजों और लैब रिपोर्ट के जरिये पुष्ट किए गए व्यस्क मरीजों व बच्चों में रेमडेसिविर के सीमित आपात उपयोग को मंजूरी दी गई है। वर्धा की जेनटेक लाइफ साइंसेज को रेमडेसिविर इंजेक्शन के विनिर्माण के लिए लाइसेंस दिया गया है।