सनातन धर्म में भोजन और पकवान को लेकर कई अचूक नियम बताए गए है। विभिन्न अवसरों पर विशेष प्रकार के भोजन के बारे में पौराणिक शास्त्रों में वर्णित है।
Roti Banana Varjit : सनातन धर्म में भोजन और पकवान को लेकर कई अचूक नियम बताए गए है। विभिन्न अवसरों पर विशेष प्रकार के भोजन के बारे में पौराणिक शास्त्रों में वर्णित है। त्योहार और शोक के समय अलग अलग प्रकार के भोजन को ग्रहण करने के बारे में बताया गया है। आईये जानते है उन 5अवसरों के बारे जब घर में रोटी नहीं बनाना चाहिए।
गरूण पुराण में वर्णित है कि जब किसी घर में मृत्यु हो जाए तो उस दिन वहां पर भूलकर भी रोटी या अन्य भोजन नहीं बनाया जाना चाहिए। कहा जाता है कि 13वीं संस्कार होने के बाद ही घर में रोटियां बनाई जानी चाहिए। उससे पहले रोटी बनाने पर अशुभ परिणाम भोगने पड़ते हैं।
शरद पूर्णिमा
शास्त्रों के मुताबिक शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा अपनी 16 कलाओं में दक्ष होता है। उस दिन शाम के समय खीर बनाकर चांद की रोशनी में रखी जाती है अगले दिन उसका सेवन किया जाता है। इस दिन घर में रोटी बनाना वर्जित होता है और ऐसा करना अशुभ माना जाता है।
शीतलाष्टमी
शीतला अष्टमी पर माता शीतला देवी की पूजा की जाती है। उस दिन शीतला माता को बासी खाने का भोग लगाया जाता है। इस भोग के बाद बचे हुए बासी खाने को प्रसाद के रूप में खुद खाया जाता है। इस दिन घर में रोटी समेत कोई भी ताजा भोजन बनाने की मनाही होती है।
मां लक्ष्मी के त्योहार
सनातन धर्म में कहा गया है कि दिवाली समेत मां लक्ष्मी से जुड़े त्योहार आने पर घर में रोटी नहीं बल्कि पकवान बनाए जाने चाहिए। इस दिन पूरी-हलवा सब्जी बनाकर सेवन करना चाहिए। अगर आप उस दिन भी रोटी बनाते हैं तो माना जाता है कि आपको मां लक्ष्मी के आगमन की खुशी नहीं हुई है।
नागपंचमी
नाग पंचमी के दिन अपने घर की रसोई में चूल्हे पर तवा रखना और रोटी बनाना वर्जित माना गया है।