आज गुजरात की राजनीतिक गली से एक बहुत बड़ी खबर आई। खबर थी की मुख्यमंत्री विजय रुपाणी ने अपने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। शायद उनको भी नहीं पता था की सुबह वो राज्य के मुख्यमंत्री होने के नाते देश के प्रधानमंत्री के साथ वर्चुअल कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे और शाम को वो इस कुर्सी के लायक नहीं रहेंगे।
गुजरात। आज गुजरात की राजनीतिक गली से एक बहुत बड़ी खबर आई। खबर थी की मुख्यमंत्री विजय रुपाणी ने अपने मुख्यमंत्री(CM) पद से इस्तीफा दे दिया। शायद उनको भी नहीं पता था की सुबह वो राज्य के मुख्यमंत्री होने के नाते देश के प्रधानमंत्री के साथ वर्चुअल कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे और शाम को वो इस कुर्सी के लायक नहीं रहेंगे। हालांकि उन्होंने इस्तीफा क्यों दिया इसको लेकर अटकलबाजियों का दौर तेज है।
इन सबके बीच ये कयास भी लगाये जा रहे हैं की वो अगले विधानसभा चुनाव में पार्टी की जीत की राह में रोड़ा साबित हो सकते थे। पिछले चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP)ने गुजरात में बहुत मुश्किल से जीत हासिल की थी। इसके बाद वो चार साल तक इस पद पर बरकरार रखे गये लेकिन अगामी चुनाव को लेकर के बीजेपी कोई रिस्क नहीं लेना चाहती है। सीआर(CR) पाटिल के अध्यक्ष बनने के बाद रूपाणी के लिए मुश्किलें और बढ़ गई थीं।
विशेषज्ञों का कहना है कि अमित शाह(AMIT SHAH) के करीबी होने के नाते रूपाणी की कुर्सी अभी तक बची हुई थी। लेकिन सीआर पाटिल ने अब पार्टी से स्पष्ट कर दिया था कि अगर अगले साल चुनाव में बड़ी जीत हासिल करनी है तो फिर नेतृत्व परिवर्तन करना होगा। दूसरा प्रमुख कारण उनका जातीय समीकरण में फिट ना बैठना भी रहा। रूपाणी(RUPANI) कास्ट न्यूट्रल थे और उनके रहते पार्टी के लिए जातीय समीकरण साध पाना मुश्किल हो रहा था। गुजरात के जातीय समीकरण को साधने के लिए ही कुछ समय पहले केंद्र(CENTRAL MINISTARY) के मंत्रिमंडल विस्तार में मनसुख मंडाविया को जगह दी गई थी।