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Same Sex Marriage : CJI DY Chandrachud ,बोले- समलैंगिक विवाह को मौलिक अधिकार के रूप में नहीं किया जा सकता स्वीकर

समलैंगिकता (Same Sex) को अपराध मानने वाली आईपीसी की धारा 377 (Section 377 of IPC) के रद्द होने के बाद सेम सेक्स मैरिज (Same Sex Marriage) को कानूनी मान्यता देने की मांग लंबे समय से होती आ रही है। ऐसे रिश्ते में रह रहे लोग अपनी परेशानियों को विभिन्न प्लेटफॉर्मों पर उठाते रहे हैं।

By संतोष सिंह 
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Same Sex Marriage : समलैंगिकता (Same Sex) को अपराध मानने वाली आईपीसी की धारा 377 (Section 377 of IPC) के रद्द होने के बाद सेम सेक्स मैरिज (Same Sex Marriage) को कानूनी मान्यता देने की मांग लंबे समय से होती आ रही है। ऐसे रिश्ते में रह रहे लोग अपनी परेशानियों को विभिन्न प्लेटफॉर्मों पर उठाते रहे हैं। कुछ लोग तो यहां आ रही दिक्कतों को देखते हुए अन्य देशों का रूख कर चुके हैं। सेम सेक्स मैरिज (Same Sex Marriage) को कानून दर्जा देने की मांग वाली याचिका पर आज यानी मंगलवार 17 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने फैसला सुना दिया है।

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समलैंगिक विवाह (Same Sex Marriage)  का समर्थन कर रहे याचिकाकर्ताओं ने इसे स्पेशल मैरिज एक्ट (Special Marriage Act) के तहत रजिस्ट्रर्ड करने की मांग की है। वहीं, केंद्र सरकार ने कोर्ट में इसका विरोध किया है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)  ने इस साल 10 दिनों तक चली सुनवाई के बाद 11 मई को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)  की संविधान पीठ कर रही थी। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) की अगुवाई वाली इस बेंच में जस्टिस संजय किशन कौल, एस रवींद्र भट्ट, हेमा कोहली और पीएस नरसिम्हा शामिल थे।

याचिकाकर्ताओं की दलील

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)  में दाखिल याचिकाओं में याचिकाकर्ताओं का कहना है कि 2018 में अदालत द्वारा समलैंगिकता (Same Sex)  को अपराध मानने वाली आईपीसी की धारा 377 (Section 377 of IPC)  के एक पार्ट को रद्द कर दिया गया था। इस फैसले के बाद अगर दो व्यस्क आपसी सहमति से समलैंगिक संबंध (Homosexual Relationship) बनाते हैं तो यह अपराध नहीं है। ऐसे में समलैंगिक विवाह (Same Sex Marriage) को मंजूरी मिलनी चाहिए।

इस दौरान केंद्र सरकार ने अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने का आग्रह करने वाली याचिकाओं पर उसके द्वारा की गई कोई भी संवैधानिक घोषणा कार्रवाई का सही तरीका नहीं हो सकती, क्योंकि अदालत इसके परिणामों का अनुमान लगाने, परिकल्पना करने,समझने और उससे निपटने में सक्षम नहीं होगी। इस मामले को लेकर कानूनी लड़ाई लड़ रहीं सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)   की वकील करूणा नंदी ने कहा कि हमने बहुत मेहनत की है। काफी समय से संघर्ष चल रहा है और फैसला चाहे कुछ भी हो हमारा संघर्ष जारी रहेगा।

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