इन दिनों भगवान शिव का पवित्र मास सावन चल रहा है। आदि ग्रन्थ ऋग्वेद में इन्हें रुद्र के नाम से पुकारा गया और उसके रुद्र स्तवन में उनकी विशेष चर्चा की गई।
Sawan Mein Padhe Shiv Sahitya : इन दिनों भगवान शिव का पवित्र मास सावन चल रहा है। आदि ग्रन्थ ऋग्वेद में इन्हें रुद्र के नाम से पुकारा गया और उसके रुद्र स्तवन में उनकी विशेष चर्चा की गई। सावन मास भगवान शिव को समर्पित है। इस बार का सावन पहले से खास है। इस बार पूरे दो माह तक भक्तों को सावन का शुभ समय मिलेगा। सावन का महीना 4 जुलाई से शुरू कर पूरे दो महीने तक चलेगा और 31 जुलाई को समाप्त होगा। यह अवधि शिव भक्तों के लिए बहुत खास अवसर बना रहा है। भगवान शिव की कथाओं और उनसे जुड़े चमत्कारी मंत्रों का लाभ पाने के लिए उनका वाचन ,स्मरण और सुमिरन करना आवश्यक है।
शिव संहिता
शिवसंहिता योग से सम्बन्धित संस्कृत ग्रन्थ है। इसके वास्तविक रचनाकार के बारे में पता नहीं है। इस ग्रन्थ में शिव जी पार्वती को सम्बोधित करते हुए योग की व्याख्या कर रहे हैं। योग से सम्बन्धित वर्तमान समय में उपलब्ध तीन मुख्य ग्रन्थों में से यह एक है। दो अन्य ग्रन्थ हैं – हठयोग प्रदीपिका तथा घेरण्ड संहिता।
उपनिषदों में शिव के बारे में विस्तार से चर्चा
ब्राह्मण तथा आरण्यक ग्रन्थों में भी शिव के बार में विशद वर्णन है। अनेक उपनिषदों में शिव के बारे में विस्तार से चर्चा की गई है। श्वेताश्वतरोपनिषद् तथा नील रुदोपनिषद जैसे कुछ उपनिषद तो मुख्य रूप में शिव पर ही आधारित है।
भगवान शिव और पार्वती के बारे में वर्णन
शिव पुराण, लिंग, पुराण, स्कन्द पुराण, तत्स्य पुराण, कूर्म पुराण और ब्रह्मांड पुराण- यह छह पुराण तो पूर्णत: शैव पुराण ही है ओर इस रूप में इनमें शिव और पार्वती के बारे में विस्तृत चर्चा है।
लिंगार्चन तंत्र का वर्णन
लिंगार्चन तंत्र में लिंग पूजन की अर्चना विधि को स्पष्ट किया गया है। स्मृतियों में भी कर्मकांड संबंधी मामलों में शिव पूजन का उल्लेख हुआ है। श्री नरहरि स्वामकृत ग्रंथ बोधसार में शिव से संबंधित विभिन्न तत्वों का दार्शनिक विवेचन प्रस्तुत किया गया।