सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सोमवार को नेता जी सुभाष चंद्र बोस (Netaji Subhash Chandra Bose) की मृत्यु की जांच की मांग की गई थी। इस मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इंकार कर दिया है। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि हम हर चीज के विशेषज्ञ नहीं हैं।
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सोमवार को नेता जी सुभाष चंद्र बोस (Netaji Subhash Chandra Bose) की मृत्यु की जांच की मांग की गई थी। इस मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इंकार कर दिया है। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि हम हर चीज के विशेषज्ञ नहीं हैं। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने इस मामले की सुनवाई से इंकार करते हुए कहा कि आप राजनीतिक कार्यकर्ता हैं न, अपनी पार्टी में जाइए और मुद्दा उठाइए। सरकार को चलाना कोर्ट का काम नहीं है। माना जाता है कि साल 1945 में नेताजी सुभाष चंद्र बोस (Netaji Subhash Chandra Bose) की एक प्लेन क्रैश हादसे में मौत हो गई थी।
याचिकाकर्ता ने क्या मांग की थी ?
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता पिनाक पानी मोहंती ने कहा कि नेताजी के लापता होने पर साल 1970 में खोसला कमिशन ने कोई अंतिम नतीजा सामने नहीं रखा था। उनकी मृत्यु एक रहस्य है। साथ ही याचिकाकर्ता ने आगे कहा कि उनकी मृत्यु 1945 में विमान दुर्घटना में नहीं हुई थी, इसीलिए कोर्ट को उनकी मृत्यु कैसे हुई इसकी जांच करने का आदेश देना चाहिए? याचिका में यह घोषित करने की भी मांग की गई थी कि सुभाष चंद्र बोस के नेतृत्व वाली आजाद हिंद फौज (Azad Hind Fauj) ने भारत को आजादी दिलाई। इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि आपको उचित मंच पर जाना चाहिए।
कोर्ट ने पहले भी जताया था असंतोष
अप्रैल में इस याचिका पर विचार करते हुए कोर्ट ने कुछ राष्ट्रीय नेताओं, जो अब जीवित नहीं हैं, के खिलाफ लगाए गए “लापरवाह और गैर-जिम्मेदाराना” आरोपों पर असंतोष व्यक्त किया था। साथ ही कोर्ट ने याचिकाकर्ता की प्रामाणिकता पर भी संदेह जताया था।
माना जाता है कि भारत के स्वतंत्रता सेनानी नेता जी सुभाष चंद्र बोस (India’s freedom fighter Netaji Subhash Chandra Bose) साल 1945 में प्लेन लापता हो गया था। उसके बाद माना जाता है कि उनका प्लान ताइवान में क्रैश हो गया था और वो इसमें बुरी तरह घायल हो गए थे। वो जल गए थे और इस हादसे में उनकी मृत्यु हो गई थी। बाद में उस समय नेता जी की मृत्यु का रहस्य जानने के लिए तीन कमीशन का गठन भी किया गया था।