अश्विनी शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मां दुर्गा के नौवें रूप की पूजा-अर्चना की जाती है। आपको बता दें कि नवमी तिथि शाम 6 बजकर 52 मिनट तक रहेगी।
शारदीय नवरात्रि 2021: अश्विनी शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मां दुर्गा के नौवें रूप की पूजा-अर्चना की जाती है। आपको बता दें कि नवमी तिथि शाम 6 बजकर 52 मिनट तक रहेगी। बीते 7 अक्टूबर को शुरू हुए नौ दिवसीय शारदीय नवरात्र पूजा आज सम्पूर्ण हो जायेगी। यह देवी भगवान विष्णु की प्रियतमा लक्ष्मी के समान कमल के आसन पर विराजमान हैं और हाथों में कमल, शंख, गदा व सुदर्शन चक्र धारण किए हुए हैं। मार्केण्डेय पुराण के अनुसार अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्रकाम्य, ईशित्व और वशित्व, कुल आठ सिद्धियां हैं, जो कि मां सिद्धिदात्री की पूजा से आसानी से प्राप्त की जा सकती हैं।
मां सिद्धिदात्री चार भुजाओं वाली हैं। इनका वाहन सिंह है। ये कमल पुष्प पर भी आसीन होती हैं। इनकी दाहिनी तरफ के नीचे वाले हाथ में कमलपुष्प है। प्रत्येक मनुष्य का यह कर्तव्य है कि वह मां सिद्धिदात्री की कृपा प्राप्त करने का निरंतर प्रयत्न करें। उनकी आराधना की ओर अग्रसर हो। इनकी कृपा से अनंत दुख रूप संसार से निर्लिप्त रहकर सारे सुखों का भोग करता हुआ वह मोक्ष को प्राप्त कर सकता है।सिद्धिदात्री मां की उपासना पूर्ण कर लेने के बाद भक्तों और साधकों की लौकिक, पारलौकिक सभी प्रकार की कामनाओं की पूर्ति हो जाती है।
देवी पुराण के अनुसार, भगवान शिव ने प्रत्येक सिद्धिया इनकी कृपा से ही प्राप्त की थी। भगवान शिव के तप से देवी सिद्धिदात्री और शिव का आधा-आधा शरीर का एका हो गया। जिसके बाद शिव को अर्धनारीश्वर (अर्ध नारी अर्ध ईश्वर), शिव और शक्ति का सम्मिलित रूप कहा जाने लगा।
धार्मिक मान्यता के अनुसार सिद्धिदात्री का केतु ग्रह पर नियंत्रण है, इसलिए उनकी पूजा करने से आप केतु ग्रह से संबंधित सभी दोषों को दूर कर सकते हैं।
मां सिद्धिदात्री का पूजा मंत्र-
सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि,
सेव्यमाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।