अश्विन मास में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से आरंभ होने वाली नवरात्रि को शारदीय नवरात्रि कहा जाता है। आश्विन मास शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri 2021)की शुरूआत होती है।
शारदीय नवरात्रि नवमी 2021: अश्विन मास में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से आरंभ होने वाली नवरात्रि को शारदीय नवरात्रि कहा जाता है। आश्विन मास शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri 2021)की शुरूआत होती है। 9 दिनों तक चलने वाले इस त्योहार में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इन दिनों में मां की भक्ति-भाव से पूजा-अर्चना करने से वे अपने भक्तों से प्रसन्न हो जाती हैं और भक्तों पर अपनी कृपा बरसाती हैं।
इस बार 07 अक्टूबर 2021 दिन गुरुवार से शारदीय नवरात्रि आरंभ हो रही हैं। 14 अक्टूबर को नवमी तिथि का व्रत रखा जाएगा। नवमी के दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। देवी के नौंवे स्वरूप की अराधना करने से सभी प्रकार कि सिद्धियों की प्राप्ति होती है। देवी सिद्धिदात्री (Maa Siddhidatri) की उपासना से अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व जैसी सभी 8 प्रकार की सिद्धियां प्राप्त होती है।
नवमी तिथि आरंभ-13 अक्टूबर 2021 को रात 08 बजकर 07 मिनट से
नवमी तिथि समाप्त-14 अक्टूबर 2021 को शाम 06 बजकर 52 मिनट
इस दिन माता सिद्धिदात्री (Maa Siddhidatri) की पूजा करने से भक्त के लिए सृष्टि में कुछ भी मुश्किल नहीं रह जाता है और उसमें ब्रह्माण्ड विजय करने की शक्ति आ जाती है। नवमी पर कन्या पूजन के साथ शारदीय नवरात्रि का समापन हो जाएगा। माता की आराधना से असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं, समस्त पापों का नाश होता है, सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है और हर मनोकामना पूर्ण होती है।
इन मंत्रों का करें जाप
1.सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि, सेव्यमाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी
2.या देवी सर्वभूतेषु सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
माता की आरती
जय सिद्धिदात्री माँ तू सिद्धि की दाता। तु भक्तों की रक्षक तू दासों की माता॥
तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि। तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि॥
कठिन काम सिद्ध करती हो तुम। जभी हाथ सेवक के सिर धरती हो तुम॥
तेरी पूजा में तो ना कोई विधि है। तू जगदम्बें दाती तू सर्व सिद्धि है॥
रविवार को तेरा सुमिरन करे जो। तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो॥
तू सब काज उसके करती है पूरे। कभी काम उसके रहे ना अधूरे॥
तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया। रखे जिसके सिर पर मैया अपनी छाया॥
सर्व सिद्धि दाती वह है भाग्यशाली। जो है तेरे दर का ही अम्बें सवाली॥
हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा। महा नंदा मंदिर में है वास तेरा॥
मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता। भक्ति है सवाली तू जिसकी दाता॥