बस्ती के डीएम को कारण बताओ नोटिस, 7 साल बाद भी मुआवजा न देने पर कोर्ट सख्त; SP की गाड़ी से कुचलकर हुई थी महिला की मौत
बस्ती :: एसपी बस्ती की गाड़ी से कुचलकर हुई महिला की मौत मामले में सात साल बाद भी मुआवजा न मिलने पर मोटर दुर्घटना दावा अभिकरण ने डीएम को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। न्यायालय ने 2016 में मुआवजा देने का आदेश दिया था लेकिन आरसी जारी होने के बाद वसूली भी नहीं हुई।
बस्ती-अयोध्या हाईवे पर 25 अक्तूबर 2012 को संवारी देवी (48) अपने पति विश्राम निवासी कोहल तिवारी थाना छावनी के साथ हर्रैया गई थी। वहां टैम्पो से उतर कर वह पति के साथ सड़क पार कर रही थीं कि बस्ती पुलिस की गाड़ी की चपेट में आ गईं। हादसे में महिला की मौत हो गई। हादसे के दो साल बाद 2014 में संवारी देवी के पति विश्राम और उनके तीन पुत्रों रामजनक, अशोक कुमार और शिवनारायण ने दावा प्रस्तुत किया। एसपी बस्ती और वाहन चालक विजय शंकर शुक्ल को प्रतिवादी बनाया गया। मोटर दुर्घटना दावा अभिकरण के समक्ष चले मुकदमे में दो वर्ष बाद 2016 में आदेश हुआ कि पीड़ित पक्ष को 2.26 लाख रुपये मुआवजा दिया जाए।
आदेश के पांच साल बाद भी पुलिस विभाग की तरफ से मुआवजा कोर्ट में जमा नहीं करने पर न्यायालय ने 2021 में पुलिस विभाग के खिलाफ आरसी जारी कर डीएम को भेज दिया। उसके बाद भी मुआवजा की राशि जमा नहीं होने पर प्राधिकरण ने एसपी, डीएम, एडीजी और डीजीपी को भी पत्र लिखा। डीएम और एसपी की तरफ से बार-बार यह जवाब दिया गया कि शासन से बजट की मांग की गई है। वसूली न होने पर पूर्व में भी डीएम बस्ती से स्पष्टीकरण मांगा जा चुका है।
न्यायालय ने एकतरफा दिया था फैसला
हर्रैया रोडवेज पर 25 अक्टूबर 2012 को हुए हादसे में संवारी देवी की मौत पर हर्रैया थाने में अपराध संख्या 791/12 दर्ज हुआ। पोस्टमार्टम में मौत का कारण चोट लगना आया। हादसे में चालक की लापरवाही सामने आई। मृतका के पति व बेटों ने 2014 में मोटर दुर्घटना दावा अभिकरण/ अपर जिला जज के न्यायालय में 19 दिसंबर को वाद संख्या 146/2014 दाखिल हुआ। तीन जुलाई 2015 को एसपी ने जवाब दाखिल किया, लेकिन चालक न्यायालय में हाजिर नहीं हुआ। इस कारण मामला एक पक्षीय चलाने का आदेश पारित हुआ। अवसर देने के बाद भी एसपी की तरफ से बचाव में कोई साक्ष्य नहीं दिया गया। 23 दिसंबर 2015 को बहस की तारीख पड़ी, लेकिन प्रतिवादी की तरफ से कोई नहीं आया। तत्कालीन अपर जिला जज कोर्ट नंबर एक ने 12 जनवरी 2016 को एक तरफा आदेश करते हुए 2.26 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश पारित किया। 30 दिनों में मुआवजा नहीं देने पर सात प्रतिशत साधारण ब्याज भी देने का आदेश हुआ।
एक वर्ष बाद आदेश रीकॉल कराया
12 जनवरी 2016 के आदेश को एक पक्षीय बताते हुए प्रतिवादी एसपी बस्ती ने पुन सुनवाई की मांग की। लगभग एक वर्ष चले मामले में सुनवाई के बाद न्यायाधीश ने प्रतिवादी के प्रार्थना-पत्र को बलहीन मानते हुए खारिज कर दिया।
एसपी ने 31 बार पत्र लिखकर मुख्यालय से मांगा है बजट
प्राधिकरण का आदेश होने के बाद एसपी बस्ती ने एडीजी (लॉजिस्टिक) को पत्र भेजकर बजट की मांग की। मुख्यालय से बजट नहीं मिलने पर एसपी बस्ती की तरफ से 30 बार रिमाइंडर भेजा गया, जिसकी प्रति न्यायालय को भी उपलब्ध कराया। इतना होने के बाद भी मुख्यालय से महज 2.26 लाख रुपये का बजट नहीं मिला।
क्या कहते हैं कानून के जानकार
वाहन दुर्घटना के अधिवक्ता सलीम अख्तर सिद्दीकी का कहना है कि आदेश का अनुपालन नहीं होता है तो न्यायालय प्रतिवादी की चल और अचल सम्पति की कुर्की व नीलामी कर मुआवजा वसूल सकता है। सरकारी विभाग का मामला होने पर बैंक खाते को सील, विभागीय परिसम्पत्तियों को कुर्क व नीलाम कर मुआवजा वसूल कर सकते हैं।
आदेश का अनुपालन नहीं होने पर पांच वर्ष बाद जारी हुई आरसी
अपर जिला जज कोर्ट के आदेश का अनुपालन नहीं होने पर पीड़ित पक्ष ने फिर से न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। उसके बाद प्राधिकरण ने मुआवजा व ब्याज की राशि को भू-राजस्व की तरफ वसूली करने के लिए आदेश पत्र जारी किया। न्यायाधिकरण ने 12 जनवरी 2021 को जिला कलेक्टर बस्ती को दिए वसूली प्रमाण पत्र (आरसी) में प्रतिकर की धनराशि मय ब्याज वसूली कर प्राधिकरण के खाते में जमा करने का आदेश जारी किया। 25 मार्च 2021 को फिर से विपक्षी ने आरसी को रीकॉल कराया और 500 रुपया जमा कर समय मांग लिया। उसके बाद भी मुआवजा नहीं मिलने पर 25 सितम्बर 2021 को फिर से आरसी जारी हो गई।
आरसी जारी होने के बाद भी वसूली क्यों नहीं हुई
मोटर दुर्घटना दावा अभिकरण के पीठासीन अधिकारी ने डीएम बस्ती को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। 18 मई 2023 को जारी नोटिस में अभिकरण के न्यायाधीश ने कहा है कि मुआवजा राशि देने के सात वर्ष बाद भी वसूली नहीं हुई। आरसी जारी होने के बाद भी कोई धनराशि प्रतिवादी ने कोर्ट में जमा नहीं किया और न ही वसूली हुई। न्यायाधीश ने यहां तक कहा कि संपूर्ण परिस्थितियां उदासीनता की परिचायक है। न्यायाधीश ने डीएम को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए अगली तारीख तक यह पूछा है कि इस मामले में आरसी जारी होने के बाद भी अब तक प्रभावी कार्रवाई क्यों नहीं की गई। एवार्ड धनराशि की वसूली क्यों नहीं हुई। इस संबंध में न्यायालय के समक्ष अब तक की गई कार्रवाई व स्पष्टीकरण प्रस्तुत करें।
तहसीलदार को जवाब दाखिल करने के निर्देश
एडीएम कमलेश चंद्र ने मोटर दुर्घटना दावा अभिकरण के नोटिस का हवाला देते हुए तहसीलदार बस्ती सदर को जारी आरसी के सापेक्ष अब तक की गई कार्रवाई से न्यायालय और उन्हें भी अवगत कराने के निर्देश दिए हैं। यह हिदायत भी दी है कि इस कार्य में किसी प्रकार की शिथिलता के लिए तहसीलदार स्वयं उत्तरदायी होंगे।