आलिया भट्ट के ‘कन्यादान’ (kanyadan) वाले विज्ञापन पर अब आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक तथा भारतीय धार्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर (Shri Shri Ravishankar) ने अपने रिएक्शंस दिए है। आलिया भट्ट के इस विज्ञापन का श्री श्री रविशंकर ने सपोर्ट किया है।
Bollywood news: आलिया भट्ट (Alia Bhatt) के ‘कन्यादान’ (kanyadan) वाले विज्ञापन पर अब आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक तथा भारतीय धार्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर (Shri Shri Ravishankar) ने अपने रिएक्शंस दिए है। आलिया भट्ट के इस विज्ञापन का श्री श्री रविशंकर (Shri Shri Ravishankar)ने सपोर्ट किया है।
रिपब्लिक को दिए एक इंटरव्यू में श्री श्री रविशंकर (Shri Shri Ravishankar) ने बताया कि कन्या कोई वस्तु नहीं है, जिसका दान किया जाए। साथ-साथ उन्होंने वैदिक प्रथाओं को लेकर अपना पक्ष रखा। उन्होंने यह भी बताया कि ‘कन्यादान’ की परम्परा को ख़त्म किया जाना चाहिए। उन्होंने ‘पाणिग्रह’ (panigraha) की प्राचीन वैदिक प्रथा का भी जिक्र किया।
वही इंटरव्यू में श्री श्री रविशंकर ने बताया कि खास तौर पर श्रुतियों में कन्यादान जैसी चीज का कहीं भी जिक्र नहीं है। स्मृतियों में पश्चात् यह चीज रखी गई पाणिग्रह, जिसमें हाथ पकड़ा जाता है। पणिग्रह वैदिक संस्कृत शब्द है। इसमें हाथ में हाथ पकड़े रहना होता है, फिर वह चाहे पति, पत्नी का पकड़े अथवा पत्नी पति का। हमारी वैदिक सांस्कृतिक व्यवस्था में लैंगिक समानता बेहद ज्यादा है।
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युगों-युगों से जो हुआ वह यह कि उसमें कई परिवर्तन आ गए तथा फिर कन्यादान को उसका अंग बना दिया गया। कन्या, दान के तौर पर दी जाने वाली वस्तु नहीं है। साथ ही श्री श्री रविशंकर का ये भी कहना है कि इस सदियों पुरानी परम्परा के पीछे के विचार तथा मतलब को बीते कई सालों में बिगाड़ दिया गया है।
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खबरों के मुताबिक, उन्होंने बताया कि मैं इसे हमेशा पाणिग्रह बोलना पसंद करूंगा, जहां पिता बोलते हैं ‘तुम मेरी बेटी को संभालो।’ यह इसका सही मतलब है, मगर इसे मध्य युग में कहीं न कहीं ‘दान’ के तौर पर खराब कर दिया गया है। मैं बोलूंगा कि कन्यादान को हटा दिया जाना चाहिए। जब आप इसे हटा देंगे, तो यह किसी भी प्रकार से हमारी वैदिक स्थिति अथवा सिद्धांत या दर्शन को कम नहीं करेगा।