ज्योतिष में सूर्य को आत्मा का कारक माना जाता है। अभी तक कर्क राशि में गोचर करने वाले सूर्य देवता अब अपनी राशि में आ गए हैं। कर्क राशि को छोड़ कर सूर्य देव ने 17 अगस्त 2021, मंगलवार को रात्रि 01 बजकर 05 मिनट पर सिंह राशि में प्रवेश किया हैं। सिंह संक्रांति 17 अगस्त 2021 को मनाई जाएगी।
Singh Sankranti 2021: ज्योतिष में सूर्य को आत्मा का कारक माना जाता है। अभी तक कर्क राशि में गोचर करने वाले सूर्य देवता अब अपनी राशि में आ गए हैं। कर्क राशि को छोड़ कर सूर्य देव ने 17 अगस्त 2021, मंगलवार को रात्रि 01 बजकर 05 मिनट पर सिंह राशि में प्रवेश किया हैं। सिंह संक्रांति 17 अगस्त 2021 को मनाई जाएगी। सूर्य देव जब कर्क राशि से सिंह राशि में प्रवेश करते हैं तो उसे सिंह संक्रांति के नाम से जाना जाता है।
सिंह संक्रांति के दिन पवित्र नदियों में स्नान करना काफी शुभ माना जाता है। सिंह संक्रांति पर सूर्य अपनी राशि में आने के कारण बली होते हैं। बली होने के कारण उनका प्रभाव और बढ़ जाता है।
कुंडली में सूर्य का मजबूत होना बहुत आवश्यक माना गया है। अगर आपका सूर्य मजबूत नहीं है तो नौकरी पर खतरा हो सकता हैं। पिता से नहीं बनेगी। आइए जानते हैं सूर्य कमजोर होने की निशानी और इससे बचने का क्या उपाय है।
कुंडली में सूर्य कमजोर होने की निशानी
ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों के शुभ और अशुभ फल देने के कारणें के बारे में विस्तृत बताया गया है। जिन जातकों का सूर्य शुभ फल नहीं देता उन जातकों की पिता और गुरु से नहीं बनेगी। बिना कारण आप क्रोधित रहेंगे और अंहकार आ जाता है। नौकरी चली जाना। हर समय थका हुआ महसूस करना और किसी भी काम करने से पहले आलस महसूस करते हैं। घर में संपति विवाद होना।
कुंडली में सूर्य को मजबूत करने के उपाय
भारतीय ज्योतिष शास्त्र में कुंडली में सूर्य को मजबूत करने के लिए कुछ उपाय बताए गए है जिसका इस्तेमाल कर आप अपने बिगड़े काम को काम बना सकते हैं।
सूर्य को मजबूत करने के लिए तांबे के लोटे में जल, लाल चंदन, गुलाब का फूल डालकर भगवान सूर्य की पूजा करें। इससे आपका सूर्य मजबूत होगा।
इसके अलावा सिरहाने में सोने से पहले तांबे के लोटे में पानी रखकर सो जाएं और सुबह उठकर उस पानी को पी लें. इससे आपका पाचन अच्छा रहेगा। आप दाएं हाथ में कड़ा पहन सकते हैं जिससे आपकी कुंडली में सूर्य मजबूत होता है।
हर रोज सुबह उठकर भगवान सूर्य की पूजा करें। इस मंत्र का जाप करें।
ऊँ हृां हृीं सः सूर्याय नमः।।
ऊँ घृणिः सूर्य आदिव्योम।।
शत्रु नाशाय ऊँ हृीं हृीं सूर्याय नमाः।।
भगवान सूर्य की आरती
जय कश्यप नन्दन, स्वामी जय कश्यप नन्दन।
त्रिभुवन तिमिर निकंदन, भक्त हृदय चन्दन॥ जय ..
सप्त अश्वरथ राजित, एक चक्रधारी।
दु:खहारी, सुखकारी, मानस मलहारी॥ जय ..
सुर मुनि भूशर वन्दित, विमल विभवशाली।
अघ-दल-दलन दिवाकर, दिव्य किरण माली॥ जय ..
सकल सुकर्म प्रसाविता, साविता शुभकारी।
विश्व विलोचन मोचन, भव-बंधन भारी॥ जय ..
कमल समूह विकाशक, नाशक त्रय तापा।
सेवत साहज हरता अति, मनसिज संतापा॥ जय ..
नेत्र व्याधि हर सुरवर, भू-पीड़ा हारी।
वृष्टि विमोचन संतत, परहित व्रतधारी॥ जय ..
सूर्यदेव करुणाकर, अब करुणा कीजै।
हर अज्ञान मोह सब, तत्त्वज्ञान दीजै॥ जय ..
जय कश्यप नन्दन, स्वामी जय कश्यप नन्दन।
त्रिभुवन तिमिर निकंदन, भक्त हृदय चन्दन॥ जय ..