सिंह संक्रांति पर सूर्य अपनी राशि में आने के कारण बली होते हैं बली होने के कारण उनका प्रभाव और बढ़ जाता है सूर्य का प्रभाव बढ़ने से रोक खत्म होने लगते हैं और आत्मविश्वास बढ़ने लगता है
सिंह संक्रांति 2021: ज्योतिष में सूर्य को आत्मा का कारक माना जाता है। इसके साथ ही ज्योतिष में सूर्य को पिता का प्रतिनिधित्व भी माना जाता है। सूर्य के कारण ही पिता से संतान का संबंध मधुर व कटु बनता है। ग्रहों के भ्रमण का जो प्रभाव राशियों पर पड़ता है उसे गोचर का फल या गोचर फल कहते हैं। अगस्त माह में सिंह राशि में बड़ा परिवर्तन होने जा रहा है। सिंह राशि में बड़ी हलचल होने जा रही है। नवग्रहों के अधिपति यानि सभी ग्रहों के राजा सूर्य देव अब सिंह राशि में आने वाले हैं।
सिंह संक्रांति पर सूर्य अपनी राशि में आने के कारण बली होते हैं बली होने के कारण उनका प्रभाव और बढ़ जाता है सूर्य का प्रभाव बढ़ने से रोक खत्म होने लगते हैं और आत्मविश्वास बढ़ने लगता है। सिंह राशि में स्थित सिंह की पूजा विशेष फलदाई मानी जाती है। साल 2021 में सिंह संक्रांति 17 अगस्त को है।
अभी तक कर्क राशि में गोचर करने वाले सूर्य देवता अब अपनी राशि परिवर्तन करने जा रहे है। सूर्य देव, कर्क राशि को छोड़ कर सूर्य देव 17 अगस्त 2021, मंगलवार को रात्रि 01 बजकर 05 मिनट पर सिंह राशि में प्रवेश करने जा रहे हैं।हिन्दू पंचांग के अनुसार अगस्त 17, 2021, मंगलवार श्रावण माह के शुक्ल पक्ष दशमी तिथि है।
पुण्य काल का समय
05:51 AM से 12:25 PM
अवधि:- 6 घंटे 34 मिनट
महा पुण्य काल का समय
05: 51 से 8:03
अवधि:- 2 घंटे 11 मिनट
सिंह संक्रांति के दिन भगवान विष्णु, सूर्य देव और भगवान नरसिंह की पूजा की जाती है मान्यता है कि इस दिन घी का सेवन करना लाभकारी होता है। भगवान विष्णु के चौथे अवतार भगवान नरसिंह ने अपने भक्त की रक्षा के लिए दैत्यराज राजा हिरण्यकश्यप का वध किया था। दैत्यों से रक्षा करने वाले भगवान के इस अवतार की पूरे देश में पूजा होती है लेकिन दक्षिण भारत में इन्हें पूजने वालों की संख्या सबसे ज्यादा है।बता दें कि भगवान नरसिंह शक्ति और पराक्रम के देवता माने जाते हैं। इस दिन भगवान नरसिंह के मंत्रों का जाप करना अत्यन्त लाभकारी होता है।