ये कंपनियां आईपीओ के जरिए कुल 10,500 करोड़ रुपये जुटा सकती हैं। इनमें से दो कंपनियों का आईपीओ (IPO) निवेश के लिए 14 जून को खुल जाएगा।
स मानसून सीजन में आईपीओ की भी बरसात होने जा रही है। करीब आधा दर्जन कंपनियां आईपीओ (Initial Public offer) पेश करने की तैयारी में हैं। इनमें सोना बीएलडब्ल्यू प्रिसिजन फोर्जिंग्स (Sona BLW Precision Forgings), श्याम मेटालिक्स (Shyam Metalics), इंडिया पेस्टिसाइड्स (India Pesticides), केआईएमएस हॉस्पिटल (KIMS Hospital), क्लीन साइंस एंड टेक्नोलॉजी (Clean Science & Technology) और डोडला डेयरी (Dodla Dairy) शामिल हैं।
ये कंपनियां अगले चार हफ्ते में आईपीओ बाजार (IPO Market) में दस्तक दे सकती है। ये कंपनियां आईपीओ से कुल 10,500 करोड़ रुपये जुटा सकती हैं। छह और कंपनियां भी अगले दो महीने में आईपीओ लॉन्च करने की योजना बना रही हैं।
सोना बीएलडब्ल्यू प्रिसिजन (Sona BLW Precision Forgings) का आईपीओ 14 जून को खुल जाएगा। कंपनी इश्यू से 5,550 करोड़ रुपये जुटा सकती है। कंपनी ने आईपीओ के लिए प्रति शेयर 285-291 रुपये का प्राइस बैंड तय किया है। इस कंपनी प्राइवेट इक्विटी फंड ब्लैकस्टोन (Blackstone) का निवेश है। सोना बीएलडब्ल्यू ऑटो पार्ट्स बनाती है। कंपनी आईपीओ में 300 करोड़ रुपये के नए शेयर जारी करेगी। ब्लैकस्टोन ग्रुप 5,250 करोड़ रुपये के शेयर ऑफर फॉर सेल (offer for sale) के जरिए बेचेगा।
श्याम मेटालिक्स (Shyam Metalics) का आईपीओ 909 करोड़ रुपये का होगा। यह इश्यू भी 14 जून को खुल जाएगा। कंपनी ने प्रति शेयर 303-306 रुपये का प्राइस बैंड तय किया है। कंपनी इश्यू के तहत 657 करोड़ रुपये के नए शेयर जारी करेगी। इसके प्रमोटर ऑफर फॉर सेल के जरिए 252 करोड़ रुपये मूल्य तक के शेयर बेचेंगे। श्याम मेटालिक्स स्टील मैन्युफैक्चरिंग कंपनी है।
केआईएमएस हॉस्पिटल्स (KIMS Hospitals), डोडला डेयरी और इंडिया पेस्टीसाइड्स अगले दो से चार हफ्ते में आईपीओ पेश करने वाली हैं। ये कंपनियां इश्यू से 800-800 करोड़ रुपये जुटाएंगी। क्लीन साइंस एंड टेक्नोलॉजी का 1,500 रुपये का आईपीओ जुलाई के पहले हफ्ते में आने की उम्मीद है।
कोटक इनवेस्टमेंट बैंकिंग (Kotak Investment Banking) के हेड ऑफ इक्विटी वी जयशंकर ने कहा, “आईपीओ से पैसे जुटाने के मामले में इस साल रिकॉर्ड बन सकता है। शेयर बाजार में तेजी, जरूरत से ज्यादा लिक्विडिटी और संस्थागत निवेशकों की खरीदारी के चलते कंपनियां प्राइमरी मार्केट से पैसे जुटाने में ज्यादा दिलचस्पी दिखा रही हैं। “