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…तो अगला महाकुंभ रेत पर होगा, देश मशहूर वैज्ञानिक और पर्यावरणविद ने पीएम मोदी को चिट्ठी लिख लगाई गुहार

देश के मशहूर वैज्ञानिक और पर्यावरणविद सोनम वांगचुक (Sonam Wangchuk) ने हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) को एक चिट्ठी लिखकर गंभीर समस्या पर ध्यान दिलवाया है।

By संतोष सिंह 
Updated Date

नई दिल्ली। देश के मशहूर वैज्ञानिक और पर्यावरणविद सोनम वांगचुक (Sonam Wangchuk) ने हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) को एक चिट्ठी लिखकर गंभीर समस्या पर ध्यान दिलवाया है। वांगचुक ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi)  को एक सार्वजनिक पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने इस बात पर जोर दिया है कि भारत को ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) जैसे मुद्दे को सुलझाने में अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए। इस दौरान सोनम वांगचुक (Sonam Wangchuk)  देश में नदियों की दयनीय स्थिति पर बातचीत करते हुए लिखा है कि अगर स्थिति को संभालने की कोशिश नहीं की गई तो मुमकिन है कि अगले महाकुंभ का संयोग बनने तक भारत की नदियां ही सूख जाएं और महाकुंभ का आयोजन रेत पर करवाना पड़े।

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सोनम वांगचुक (Sonam Wangchuk)  ने मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि अगर ग्लेशियरों को बचाने के लिए कदम नहीं उठाए गए, तो 144 सालों के बाद आने वाला अगला महाकुंभ रेत पर आयोजित करना होगा। उनके मुताबिक इन सालों के दौरान देश की नदियां सूख जाएंगी। वांगचुक ने कहा, “जैसा कि हम सभी जानते हैं हिमालय के ग्लेशियर बहुत तेजी से पिघल रहे हैं और इसके साथ ही इसी तरह पेड़ों की कटाई भी होती रही तो कुछ दशकों में ही गंगा, ब्रह्मपुत्र और सिंधु जैसी हमारी पवित्र नदियां मौसमी नदियां बन सकती हैं। इसका मतलब यह भी हो सकता है कि अगला महाकुंभ नदी के रेतीले अवशेषों पर कराया जाने पड़े।

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भारत को आना होगा आगे- सोनम वांगचुक बता दें कि सोनम वांगचुक (Sonam Wangchuk)  पिछले कई सालों से हिमालय के ग्लेशियरों के संरक्षण पर काम कर रहे हैं। वहीं संयुक्त राष्ट्र (United Nations) ने भी 2025 को ग्लेशियरों के संरक्षण का अंतर्राष्ट्रीय वर्ष घोषित किया है। अपनी चिट्ठी में वांगचुक ने लिखा कि भारत को ग्लेशियरों को बचाने की मुहिम में अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए। वांगचुक ने लिखा, “आर्कटिक और अंटार्कटिका के बाद पृथ्वी पर बर्फ और हिम का तीसरा सबसे बड़ा भंडार हिमालय में है और इसे ‘थर्ड पोल’ का नाम भी मिला है। भारत को ग्लेशियर संरक्षण में आगे आने की जरूरत है। वांगचुक ने अपनी चिट्ठी में पीएम से हिमालय के ग्लेशियरों की स्थिति का आकलन करने के लिए एक आयोग गठित करने की अपील भी की है।

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