लाचारी, बेवसी और भय का वो माहौल आंखों से ओझल नहीं हो सकता। हर दिन किसी ने किसी परिचित के खोने का दर्द जो दिल पर गहरा बैठ गया है। कोरोना महामारी की दूसरी लहर की रफ्तार में ज्यादार लोग इस बेवसी, लाचारी और भय से गुजरे हैं।
लखनऊ। लाचारी, बेवसी और भय का वो माहौल आंखों से ओझल नहीं हो सकता। हर दिन किसी ने किसी परिचित के खोने का दर्द जो दिल पर गहरा बैठ गया है। कोरोना महामारी की दूसरी लहर की रफ्तार में ज्यादातर लोग इस बेवसी, लाचारी और भय से गुजरे हैं।
ऑक्सीजन के लिए लंबी लाइने, घंटों इंतजार फिर अपनों को बचाने की जद्दोजहद भूलना मुश्किल है। यही नहीं दाहसंस्कार के लिए शमसान में भी घंटों का इंतजार करना पड़ा। ये पीड़ा आज भी अपनों और करीबियों को खोने वाले लोगों के मन में कौंध रहीं है।
कोई सोचता है काश..सही समय पर अस्पताल में बेड और ऑक्सीजन मिल जाता तो ये सब नहीं देखने को मिलता। लेकिन सियासी आकाओं ने इस पर भी पर्दा डालाना शुरू कर दिया।
कहा जा रहा है कि ऑक्सीजन की कमी से किसी की जान नहीं गयी लेकिन उनको याद करना होगा कि कैसे लोग रातभर अपनों की सांसों के चलते देखते रहने के लिए रात रातभर ऑक्सीजन प्लांट के बाहर लाइनों में खड़े रहते थे।
सैकड़ों किलो मीटर दूर भी ऑक्सीजन के लिए लोग पहुंच जाते…लेकिन इन सियासी हुकमरानों का क्या, ये तो इस पर भी राजनीति करने से पीछे नहीं हटे। दरअसल, कहा जा रहा है कि ऑक्सीजन की कमी से किसी की जान नहीं गयी है। अब इसको लेकर देश में सियासत शुरू हो गयी है। सत्तापक्ष और विपक्ष इसको लेकर एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगा रहे हैं।