सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में मंगलवार सुबह कुछ ऐसा हुआ कि मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ (Chief Justice DY Chandrachud) नाराज हो उठे। उन्होंने प्रक्रिया से खिलवाड़ की कोशिश करने वाले एक वकील को फटकार लगा दी है। सीजेआई चंद्रचूड़ (CJI Chandrachud) ने नाराजगी जाहिर करते हुए वकील से कहा कि 'मेरे अधिकार के साथ खिलवाड़ मत करो(Don't Play with My Rights।
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में मंगलवार सुबह कुछ ऐसा हुआ कि मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ (Chief Justice DY Chandrachud) नाराज हो उठे। उन्होंने प्रक्रिया से खिलवाड़ की कोशिश करने वाले एक वकील को फटकार लगा दी है। सीजेआई चंद्रचूड़ (CJI Chandrachud) ने नाराजगी जाहिर करते हुए वकील से कहा कि ‘मेरे अधिकार के साथ खिलवाड़ मत करो(Don’t Play with My Rights।
जानें क्या था वाकया?
बता दें कि हर सुबह सीजेआई चंद्रचूड़ (CJI Chandrachud) की अगुवाई वाली बेंच सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की विभिन्न बेंच के सामने मामलों की तत्काल लिस्टिंग के लिए औसतन लगभग 100 मामलों की सुनवाई करती है। मंगलवार को जब सीजेआई (CJI) की बेंच ऐसा कर रही थी, तभी एक वकील ने जल्द तारीख पाने के लिए मामले का उल्लेख किया। जबकि वह मामला, सीजेआई (CJI) ने पहले ही 17 अप्रैल के लिए सूचीबद्ध कर रखा था। एक बार मना करने के बाद भी जब वकील नहीं माना तो सीजेआई (CJI) को गुस्सा आ गया।
सीजेआई ने लगाई फटकार
बता दें कि सीजेआई (CJI) की अध्यक्षता वाली पीठ में न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला भी शामिल थे। इसके बाद भी वकील नहीं माना उसने कहा मुझे माफ करें और अगर इजाजत हो तो तो मैं दूसरी बेंच के सामने इसका जिक्र कर सकता हूं।’ इस पर मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ (Chief Justice DY Chandrachud) को गुस्सा आ गया। वकील को फटकार लगाते हुए सीजेआई (CJI) ने कहा कि आप भी मुझे क्षमा करें, लेकिन मेरे अधिकार के साथ खिलवाड़ न करें। मेरे साथ ये चाल मत चलिए। आप जल्दी तारीख के लिए यहां और फिर कहीं और इसका उल्लेख नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि सीजेआई (CJI) ने कहा कि हम 17 अप्रैल की तारीख दे रहे हैं और यह 17 को ही सुना जाएगा। जल्दी तारीख पाने के लिए इसका कहीं अन्य उल्लेख न करें।
CJI की नाराजगी को भांपते हुए वकील ने मांगी माफी
इसके बाद जब वकील ने सीजेआई (CJI) को नाराजगी को भांपते हुए खेद व्यक्त किया और कहा कि उन्हें अपनी दलीलों के लिए माफ किया जाना चाहिए।