1. हिन्दी समाचार
  2. दिल्ली
  3. SC ने शिक्षण संस्थानों में विद्यार्थियों व शिक्षकों के लिए एक समान ड्रेस कोड लागू करने की मांग की खारिज

SC ने शिक्षण संस्थानों में विद्यार्थियों व शिक्षकों के लिए एक समान ड्रेस कोड लागू करने की मांग की खारिज

कर्नाटक में हिजाब विवाद (Karnataka Hijab Controversy) के बीच शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)  ने देशभर के शिक्षा संस्थानों में विद्यार्थियों व शिक्षकों के लिए एक समान ड्रेस कोड (Uniform Dress Code) लागू करने की मांग को खारिज कर दिया है। इस मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)   ने विचार करने से इनकार कर दिया है।

By संतोष सिंह 
Updated Date

नई दिल्ली। कर्नाटक में हिजाब विवाद (Karnataka Hijab Controversy) के बीच शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)  ने देशभर के शिक्षा संस्थानों में विद्यार्थियों व शिक्षकों के लिए एक समान ड्रेस कोड (Uniform Dress Code) लागू करने की मांग को खारिज कर दिया है। इस मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)   ने विचार करने से इनकार कर दिया है।

पढ़ें :- जयराम रमेश बोले- 'दक्षिण में साफ और उत्तर में हाफ हो जाएगी भाजपा', कमजोर वर्ग को हम बनाना चाहते हैं सशक्त

निखिल उपाध्याय के तरफ से दायर इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)   ने शुक्रवार को विचार करने से इनकार कर दिया है। इसमें केंद्र, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को यह निर्देश देने का आग्रह किया गया था कि वे शिक्षा संस्थानों में शिक्षकों व विद्यार्थियों के लिए एकसमान ड्रेस कोड (Uniform Dress Code)लागू करें।

जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ ने कहा कि यह ऐसा मामला नहीं है जिसे अदालत के विचारार्थ रखा जाना चाहिए। जनहित याचिका में तर्क दिया गया कि समानता को सुरक्षित करने और बंधुत्व और राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने के लिए एकसमान ड्रेस कोड लागू किया जाना चाहिए। उपाध्याय की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गौरव भाटिया ने शीर्ष कोर्ट में पक्षा रखा।

भाटिया ने कहा कि यह एक संवैधानिक मुद्दा है और शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)   को एक निर्देश देना चाहिए। याचिका पर सुनवाई को लेकर पीठ की अनिच्छा को देखते हुए वकील भाटिया ने यह वापस ले ली।

वकील अश्विनी उपाध्याय और अश्विनी दुबे के माध्यम से दायर जनहित याचिका में केंद्र को सामाजिक और आर्थिक न्याय, समाजवाद, धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र के मूल्यों की खातिर एक न्यायिक आयोग (judicial commission) या एक विशेषज्ञ पैनल स्थापित करने का निर्देश देने की भी मांग की गई थी।

पढ़ें :- Loksabha Election 2024: कौशांबी में BSP ने उड़ाई आचार संहिता की धज्जियां, जनता को बांटे पैसे, वीडियो वायरल

याचिका में यह भी कहा गया कि शैक्षणिक संस्थान धर्मनिरपेक्ष सार्वजनिक स्थान हैं और ज्ञान, रोजगार, अच्छे स्वास्थ्य और राष्ट्र निर्माण में योगदान देने के लिए हैं, न कि आवश्यक और गैर, जरूरी धार्मिक प्रथाओं का पालन करने के लिए। इन संस्थानों का धर्मनिरपेक्ष चरित्र बनाए रखने के लिए सभी स्कूल-कॉलेजों में कॉमन ड्रेस कोड लागू करना बहुत जरूरी है, अन्यथा कल नागा साधु कॉलेजों में प्रवेश ले सकते हैं और धार्मिक प्रथा का हवाला देकर बगैर कपड़ों के कक्षा में शामिल हो सकते हैं।

यह याचिका कर्नाटक के हिजाब विवाद (Karnataka Hijab Controversy)के मद्देनजर दायर की गई थी। जस्टिस गुप्ता की अध्यक्षता वाली यही पीठ कर्नाटक के शैक्षणिक संस्थानों (Educational Institutions in Karnataka)में हिजाब पर प्रतिबंध (Hijab Banned)हटाने से इनकार करने वाले कर्नाटक हाईकोर्ट (Karnataka High Court) के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है।

Hindi News से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक, यूट्यूब और ट्विटर पर फॉलो करे...