सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मेडिकल कॉलेजों में NRI कोटा (NRI Quota) बढ़ाने के हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली पंजाब सरकार (Punjab Government) की याचिका को खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने जोर देकर कहा कि एनआरआई के दूर के रिश्तेदारों को प्रवेश का लाभ नहीं दिया जा सकता है।
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मेडिकल कॉलेजों में NRI कोटा (NRI Quota) बढ़ाने के हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली पंजाब सरकार (Punjab Government) की याचिका को खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने जोर देकर कहा कि एनआरआई के दूर के रिश्तेदारों को प्रवेश का लाभ नहीं दिया जा सकता है। ये एक फ्रॉड है और धोखाधड़ी बंद होनी चाहिए। यह फैसला ऐसे समय में आया है जब कर्नाटक सरकार 2025-26 शैक्षणिक वर्ष से सरकारी मेडिकल कॉलेजों (Medical Colleges) में 15 फीसदी एनआरआई कोटा (NRI Quota) शुरू करने पर जोर दे रही है।
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अधिसूचना रद्द करने के हाई कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा है। पंजाब सरकार (Punjab Government) ने NRI कोटे से दाखिले में रिश्तेदारों या आश्रितों को भी शामिल किया था। पंजाब के मेडिकल कॉलेजों में दाखिले में NRI कोटा (NRI Quota) को लेकर सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) ने टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि ये NRI कोटा व्यवसाय बंद होना चाहिए। ये एजुकेशन सिस्टम (Education System) के साथ धोखाधड़ी है। हमें धोखाधड़ी को खत्म करना होगा। हाई कोर्ट का आदेश बिल्कुल सही है।
उन्होंने कहा कि इसे व्यापक बनाने का परिणाम देखिए कि जिन उम्मीदवारों के अंक तीन गुना से अधिक हैं उनको प्रवेश ही नहीं मिली रहा है। केंद्र सरकार को इस पर अमल करना चाहिए। हम इसके लिए कानून के सिद्धांत निर्धारित करेंगे।
पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने क्या कहा था?
इस महीने की शुरुआत में पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट (Punjab-Haryana High Court) ने पंजाब सरकार (Punjab Government) की उस अधिसूचना को रद्द कर दिया था, जिसमें राज्य भर के मेडिकल कॉलेजों में एनआरआई कोटे (NRI Quota) के तहत दाखिले की शर्तों में संशोधन किया गया था। हाई कोर्ट की चीफ जस्टिस शील नागू और जस्टिस अनिल क्षेत्रपाल की पीठ ने फैसला सुनाया था कि राज्य की 20 अगस्त की अधिसूचना, जिसमें एनआरआई (NRI) उम्मीदवारों की परिभाषा को व्यापक बनाते हुए दूर के रिश्तेदारों को भी शामिल किया गया यकीनन अनुचित थी।
कोर्ट ने बताया कि एनआरआई कोटा (NRI Quota) मूल रूप से वास्तविक एनआरआई (NRI) और उनके बच्चों को लाभ पहुंचाने के लिए था, जिससे उन्हें भारत में शिक्षा हासिल करने में मदद मिली। हालांकि, चाचा, चाची, दादा-दादी और चचेरे भाई-बहनों जैसे रिश्तेदारों को एनआरआई श्रेणी में शामिल करने के सरकार के कदम ने नीति के मूल उद्देश्य को कमजोर कर दिया।