सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मंगलवार को ईडी (ED) और सीबीआई (CBI) के प्रमुखों के कार्यकाल को पांच साल तक बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार (Central Government) द्वारा लाए गए अध्यादेशों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर जवाब मांगा। मामले में सुप्रीम कोर्ट 10 दिन बाद सुनवाई करेगी।
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मंगलवार को ईडी (ED) और सीबीआई (CBI) के प्रमुखों के कार्यकाल को पांच साल तक बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार (Central Government) द्वारा लाए गए अध्यादेशों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर जवाब मांगा। मामले में सुप्रीम कोर्ट 10 दिन बाद सुनवाई करेगी।
मुख्य न्यायाधीश (CJI) एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने 15 नवंबर 2021 के अध्यादेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर नोटिस जारी किया, जिसके द्वारा सीबीआई (CBI) और ईडी (ED) की नियुक्ति को नियंत्रित करने वाले केंद्रीय सतर्कता आयोग अधिनियम और दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम में संशोधन किए गए थे। प्रमुख वर्तमान अध्यादेश ने सीवीसी अधिनियम की धारा 25 में संशोधन किया, जो ईडी निदेशक की नियुक्ति और कार्यकाल को नियंत्रित करता है।
कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला (Congress leader Randeep Singh Surjewala) और तृणमूल कांग्रेस (TMC) के नेताओं मोहुआ मोइत्रा और साकेत गोखले द्वारा दायर याचिकाओं में आरोप लगाया गया है कि ईडी निदेशक संजय कुमार मिश्रा (ED Director Sanjay Kumar Mishra), एक भारतीय राजस्व सेवा (IRS) अधिकारी को विस्तार प्रदान करने के लिए संशोधन लाए गए हैं। जिन्हें शुरू में नवंबर 2018 में एक निश्चित दो साल के कार्यकाल के लिए नियुक्त किया गया था। हालांकि, केंद्र ने उन्हें नवंबर 2021 तक एक साल का विस्तार दिया, जिसे एनजीओ कॉमन कॉज (NGO Common Cause) द्वारा सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के समक्ष चुनौती दी गई थी।
सुरजेवाला की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी (Abhishek Manu Singhvi) ने अदालत को बताया कि ईडी न केवल धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA ) के तहत बल्कि विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMAA) के तहत भी अपराध की जांच करता है। उन्होंने बताया कि सीबीआई निदेशक (CBI Director) की नियुक्ति के विपरीत, सीवीसी अधिनियम की धारा 25 (Section 25 of the CVC Act) के तहत ईडी निदेशक का चयन मुख्य सतर्कता आयुक्त, सतर्कता आयुक्तों और नौकरशाहों की अध्यक्षता वाली एक समिति द्वारा किया जाता है। सिंघवी ने कहा, “यह एक महत्वपूर्ण सवाल है कि ईडी निदेशक (ED Director) की नियुक्ति कौन करता है क्योंकि सभी प्रतिनिधि कार्यकारी से हैं।
पिछले साल 8 सितंबर को, सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा था कि संजय कुमार मिश्रा को कोई और विस्तार नहीं दिया जाना चाहिए । उन्हें विस्तार देने के फैसले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था। कहा था उनका कार्यकाल नवंबर 2021 में समाप्त हो रहा था। याचिकाओं में आरोप लगाया गया था कि यह अध्यादेश सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के हालिया फैसले का उल्लंघन है । इसे रद्द किया जाना चाहिए।
केंद्र की दलील
केंद्र ने कॉमन कॉज याचिका के खिलाफ बहस करते हुए मिश्रा को दिए गए विस्तार का बचाव किया। कहा कि सीमा पार अपराधों में कुछ लंबित जांचों के लिए उनकी निरंतरता महत्वपूर्ण थी। इसलिए उन्हें सेवा विस्तार दिया गया।
उधर, अधिवक्ता एमएल शर्मा (Advocate ML Sharma) , जिन्होंने भी इसी मुद्दे पर याचिका दायर की है। अदालत को बताया कि चुनौती के तहत संशोधन लोकसभा या राज्यसभा में बिना किसी मतदान के पारित किए गए थे । इसे पारित नहीं माना जा सकता है। मामलों के समूह में एक अन्य याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन (Senior Advocate Gopal Sankaranarayanan)ने अदालत को बताया कि मिश्रा इस साल नवंबर में कार्यालय में चार साल पूरे करेंगे । याचिकाकर्ताओं को आशंका है कि सरकार उन्हें फिर सेवा विस्तार दे सकती है।