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स्वामी प्रसाद मौर्य ने फिर उगली आग, बोले- किसने कहा रामचरितमानस धार्मिक ग्रंथ है? तुलसीदास ने तो नहीं कहा

समाजवादी पार्टी के विधान परिषद सदस्य (Samajwadi Party Legislative Council Member) स्वामी प्रसाद मौर्या (Swami Prasad Maurya) लगतार विरोधियों पर आक्रामक रुख अपनाए हुए हैं। रविवार को फिर उन्होंने एक न्यूज एजेंसी से बात करते हुए कहा कि गाली कभी धर्म का हिस्सा नहीं हो सकता। अपमान करना किसी धर्म का उद्देश्य नहीं होता।

By संतोष सिंह 
Updated Date

लखनऊ। समाजवादी पार्टी के विधान परिषद सदस्य (Samajwadi Party Legislative Council Member) स्वामी प्रसाद मौर्या (Swami Prasad Maurya) लगतार विरोधियों पर आक्रामक रुख अपनाए हुए हैं। रविवार को फिर उन्होंने एक न्यूज एजेंसी से बात करते हुए कहा कि गाली कभी धर्म का हिस्सा नहीं हो सकता। अपमान करना किसी धर्म का उद्देश्य नहीं होता। जिन पाखंडियों ने धर्म के नाम पर पिछड़ों, महिलाओं को अपमानित किया, नीच कहा, वो अधर्मी हैं…किसने कहा रामचरितमानस धार्मिक ग्रंथ है? तुलसीदास ने तो नहीं कहा।

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रविवार को उन्होंने ट्वीट कर बिना किसी का नाम लेते हुए अपरोक्ष रूप से ​बीजेपी (BJP) पर निशाना साधते हुए कहा कि धर्म की दुहाई देकर आदिवासियों, दलितों-पिछड़ों व महिलाओं को अपमानित किए जाने की साजिश का विरोध करता रहूंगा।

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स्वामी प्रसाद मौर्या (Swami Prasad Maurya)  ने कहा कि जिस तरह कुत्तों के भौंकने से हाथी अपनी चाल नहीं बदलती उसी प्रकार इनको सम्मान दिलाने तक मैं भी अपनी बात नहीं बदलूंगा। बता दें कि रामचरित मानस पर विवादित बयान देने के कारण उनके खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहा है। इसके साथ ही राजधानी लखनऊ के हजरतगंज थाने में उनके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की गयी है।यही नहीं कुछ लोगों ने इस बयान के विरोध में स्वामी प्रसाद मौर्य का सिर और गला काटने की धमकी तक दे दी। इसके बाद उनका पलटवार जारी है। उन्होंने कहा कि, दलितों एवं पिछड़ों के सम्मान की बात क्या कर दी, मानो भूचाल आ गया।

वहीं स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya)  पर हमला बोलते हुए यूपी सरकार में कैबिनेट मंत्री धर्मपाल सिंह (Cabinet Minister Dharampal Singh) ने कहा कि रामचरित मानस पर टिपण्णी करके स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya)अपनी छोटी मानसिकता को दर्शा रहे हैं। उन्होंने कहा कि सपा के कार्यकाल में माताओं-बहनों की इज़्ज़त आबरू कभी सुरक्षित नहीं रही, अब स्वामी प्रसाद मौर्य ऐसे बयान देकर कौनसी दुहाई देना चाहते हैं ? रामचरितमानस महाकाव्य है उसपर टिपण्णी करना उनकी छोटी मानसिकता को दर्शाता है।

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