‘Sarva Bhuta Hite Ratah’: समता, ममता और समरसता हमारे भारतीय लोकजीवन का अभिन्न अंग है। हम जिस देश में रहते हैं उसके ऋषि कहते हैं- ‘सर्वभूतहिते रताः।’ प्रकृति से साथ हमारा संवाद बहुत पुराना है। इसलिए हमने अपनी समूची सृष्टि को स्वीकारा। किसी को विरोधी नहीं माना। पेड़,पहाड़, नदियां,