‘Tulsi Jayanti Samaroh’: तुलसीदास का साहित्य लोकमंगल और लोकहित का साधक है । तुलसी लोक जीवन में पैठे हैं। उनका साहित्य आत्म दैन्य से जूझते व्यक्ति के लिए संजीवनी का काम करता है – ये उद्गार हैं भारतीय जनसंचार संस्थान के पूर्व महानिदेशक एवं माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार