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देश के नवनियुक्त CJI UU Lalit बोले-जजों पर निजी हमले बंद हों, उन्हें आजादी से करने दें काम

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के नवनियुक्त मुख्य न्यायाधीश जस्टिस उदय उमेश ललित (Newly appointed Chief Justice Justice Uday Umesh Lalit) कहा कि न्याय पाना देश के हर नागरिक का अधिकार है। इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए अमीर-गरीब का फर्क दूर होना चाहिए।

By संतोष सिंह 
Updated Date

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के नवनियुक्त मुख्य न्यायाधीश जस्टिस उदय उमेश ललित (Newly appointed Chief Justice Justice Uday Umesh Lalit) कहा कि न्याय पाना देश के हर नागरिक का अधिकार है। इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए अमीर-गरीब का फर्क दूर होना चाहिए। जस्टिस ललित ने कहा कि देश की जेलों में बंद विचाराधीन कैदी चिंता का विषय हैं।

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इस समस्या से जल्द से जल्द निपटना होगा। उन्होंने कहा कि देश की जेलों में 90 फीसदी लोग विचाराधीन कैदी हैं और दस फीसदी सजायाफ्ता और इन विचाराधीन कैदियों में सिर्फ 30 फीसदी को ही सजा होती है यानि 70 फीसदी लोगों को सजा नहीं होती।

जस्टिस ललित ने कहा कि मुकदमों का मीडिया ट्रायल बंद होना चाहिए। उन्होंने कहा कि अदालती आदेशों की स्वस्थ आलोचना का हमेशा स्वागत है। लेकिन इसके तहत जजों पर निजी हमले नहीं होने चाहिए बल्कि जजों को आजादी से काम करने देना चाहिए। सरकार का अदालतों पर कोई दबाव नहीं है।

उन्होंने आगे कहा कि जजों की कार्यशैली पर टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर जज सही ढंग से काम करें तो किसी का दबाव आ ही नहीं सकता। उन्होंने कहा कि जज केस के तथ्यों पर फैसला देते हैं और उन्हें भावनाओं पर ध्यान नहीं देना चाहिए। जस्टिस ललित कहते हैं कि अदालतें समुदाय जात-पात देखकर फैसला नहीं देतीं। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)  के आदेश जजों के विवेक के तहत होते हैं और हर जज अपने हिसाब से फैसला लेते हैं।

जस्टिस ललित ने यह माना कि जजों के रिटायर होने की उम्र 65 साल ही ठीक है, क्योंकि इसके बाद जजों को तनाव और काम में बीमारियां घेरती हैं। उन्होंने दिलचस्प बात बताई कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)  में चलने वाली CGHS डिस्पेंसरी के डॉक्टर जजों की सेहत का ध्यान रखते हैं। यहां डॉ श्यामा गुप्ता करीब 20 सालों से जजों की सेहत की निगरानी करती आई हैं। उन्होंने एक बार बताया कि जब जज सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में काम करना शुरू करते हैं तो उनको कम बीमारी होती है, लेकिन जब वो रिटायर होते हैं तो कई और भी बीमारियां उनको जकड़ चुकी होती हैं। ये पूछने पर कि उनको अदालत में काम करते हुए कभी गुस्सा होते या नाराज होते नहीं देखा तो उनका कहना था कि जजों को सिर्फ केस के तथ्यों पर ही रहना चाहिए। कर्मयोगी होना चाहिए और केस पर ही रहना चाहिए।  ऐसे में अपने काम को अच्छे ढंग से किया जाएगा और परेशानी भी नहीं होगी।

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ललित देश के 49वें मुख्य न्यायाधीश होंगे।  कुछ दिन पहले ही मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना (Chief Justice NV Ramana) ने देश के अगले मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice) के लिए जस्टिस यूयू ललित (Justice UU Lalit) के नाम की कानून मंत्रालय को सिफारिश (Recommendation to the Law Ministry)की थी। बता दें कि जस्टिस एनवी रमणा 26 अगस्त को सेवानिवृत्त होंगे।

 

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