भारतीय क्रिकेट टीम ने 1983 में उम्मीदों के विपरीत चौंकाने वाला प्रदर्शन किया था। ऐसा करते हुए ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड तथा वेस्टइंडीज जैसी दिग्गज टीमों को धूल चटाते हुए विश्व चैम्पियन बनकर दिखाया था। इस टीम के उस वर्ल्ड कप के सफर में एक ऐसा खिलाड़ी भी शामिल था, जिसकी सफलता की चर्चा नहीं के बराबर की जाती है।
नई दिल्ली। भारतीय क्रिकेट टीम ने 1983 में उम्मीदों के विपरीत चौंकाने वाला प्रदर्शन किया था। ऐसा करते हुए ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड तथा वेस्टइंडीज जैसी दिग्गज टीमों को धूल चटाते हुए विश्व चैम्पियन बनकर दिखाया था। इस टीम के उस वर्ल्ड कप के सफर में एक ऐसा खिलाड़ी भी शामिल था, जिसकी सफलता की चर्चा नहीं के बराबर की जाती है। टीम में मध्यक्रम के इस बल्लेबाज की बदौलत भारत ने जीत के साथ अपने अभियान की शुरुआत की थी। दुर्भाग्यवश यशपाल शर्मा अब नहीं रहे। इस धुरंधर बल्लेबाज का मंगलवार को हार्ट अटैक की वजह से निधन हो गया है। वह 66 साल के थे।
1983 वर्ल्ड कप के अभियान के शुरूआत में ही भारत को अपने पहले ही मैच में लगातार दो बार के चैम्पियन वेस्टइंडीज का सामना करना पड़ा। पिछले दोनों विश्व कप में खराब प्रदर्शन करने वाली भारतीय टीम को विंडीज ने पहले बल्लेबाजी के लिए भेजा। उनका यह फैसला लगभग सही साबित होता दिख रहा था। टीम इंडिया का 76 के स्कोर पर तीसरा विकेट गिरने के बाद यशपाल शर्मा उतरे, 141 रनों के स्कोर तक आधी टीम पैवेलियन लौट चुकी थी, लेकिन यशपाल ने अपना धैर्य बनाए रखा और मोर्चे पर डटे रहे।
मैनचेस्टर के ओल्ड ट्रैफर्ड मैदान पर यशपाल शर्मा ने 120 गेंदों का सामना कर भारतीय पारी को संवारा। उन्होंने न सिर्फ स्ट्रोक का सहारा लिया, बल्कि विकेटों के बीच तालमेल बैठाते हुए दौड़ लगाकर रन भी बटोरे। यशपाल ने अकेले 89 रन (9 चौके) बनाए, जिससे भारत का स्कोर निर्धारित 60 ओवरों में 262/8 तक जा पहुंचा। यशपाल की उस शानदार पारी की बदौलत भारत ने ग्रुप-बी के अपने पहले ही मैच में बड़ा उलटफेर कर दिया और वेस्टइंडीज को 34 रनों से मात दी। बता दें कि इसी जीत के साथ भारत के विश्व चैम्पियन बनने की बुनियाद पड़ी थी।
यशपाल शर्मा ने उसी वर्ल्ड कप के दौरान ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मैच में आक्रामक पारी खेलते हुए 40 गेंदों में 40 रन बनाए, जिसमें एक ही चौका था। मजे की बात है कि उस मैच में यह न सिर्फ भारत की ओर से सर्वाधिक निजी स्कोर था, बल्कि जवाबी पारी में ऑस्ट्रेलिया की ओर से भी इतने रन किसी ने नहीं बनाए। दरअसल, 248 रनों का पीछा करते हुए ऑस्ट्रेलियाई टीम मदन लाल, रोजर बिन्नी (4-4 विकेट) और बलविंदर संधू (2 विकेट) की धारदार गेंदबाजी के आगे 129 रनों पर सिमट गई थी।
इतना ही नहीं, यशपाल शर्मा ने सेमीफाइनल में मेजबान इंग्लैंड के खिलाफ जीत में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने सर्वाधिक 61 रनों की पारी खेली, जिसमें 2 छक्के और 3 चौके शामिल रहे. भारत ने वह महत्वपूर्ण मुकाबला 6 विकेट से जीता और फाइनल में पहुंच गया। इसके बाद जो हुआ, वह इतिहास के पन्नों में शामिल हो गया है।
भारतीय टीम ने वेस्टइंडीज का लगातार तीसरा वर्ल्ड कप जीतने का सपना तोड़ दिया और पहली बार वर्ल्ड कप पर कब्जा जमाया। 1983 के वर्ल्ड कप में भारत की ओर से सबसे ज्यादा रन बनाने की बात करें, तो कपिल देव (303 रन) के बाद यशपाल के खाते में सर्वाधिक रन (240) दर्ज हैं। यशपाल शर्मा ने 42 वनडे (1978-1985) में भारत का प्रतिनिधित्व किया और 28.48 के एवरेज से 883 रन बनाए। उनके बल्ले से कोई शतक तो नहीं निकला, लेकिन उनके करियर से जुड़ा दिलचस्प फैक्ट ये रहा कि वह वनडे में कभी ‘शून्य’ पर आउट नहीं हुए है। यशपाल ने 1979-1983 के दौरान 37 टेस्ट मैचों में 33.45 के एवरेज से 1606 रन रन बनाए, जिसमें दो शतक और 9 अर्धशतक शामिल हैं।
टेस्ट मैचों में उनका उच्चतम स्कोर 140 रन रहा है। उनका यह दूसरा टेस्ट शतक बेहद खास रहा है। बता दें कि उन्होंने 1982 में इंग्लैंड के खिलाफ मद्रास टेस्ट में गुंडप्पा विश्वनाथ के साथ रिकॉर्ड 316 रनों की साझेदारी (तीसरे विकेट के लिए) की थी। विश्वनाथ (222) और यशपाल (140) ने टेस्ट मैच के दूसरे दिन कोई विकेट नहीं गिरने दिया था। दोनों देशों के बीच 29 वर्षों तक किसी भी विकेट के लिए यह सर्वाधिक रनों की भागीदारी रही। 2011 में इयान बेल और केविन पीटरसन ने ओवल में 350 रनों की पार्टनरशिप कर यह रिकॉर्ड तोड़ा था।