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जनता कर्ज में डूब रही है और PM मोदी जी के परम मित्र मुनाफा कमा रहे हैं, उनकी संपत्ति बढ़ती ही जा रही: जयराम रमेश

जयराम रमेश ने न्यूज पेपर की कटिंग को शेयर किया है। उन्होंने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा कि, अच्छे दिन" का कर्ज़ा! मोदी सरकार ने पिछले ग्यारह सालों में देश की अर्थव्यवस्था का बंटाधार कर दिया है। लोगों के जीवन को बेहतर बनाने में कोई प्रयास नहीं किया गया, केवल पूंजीपति मित्रों के लिए सारी नीतियां बनाई गईं, जिसके नुकसान आज देश की जनता भुगत रही है। यह सच्चाई किसी न किसी तरह हर रोज हमारे सामने आ रही है।

By शिव मौर्या 
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नई दिल्ली। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने मोदी सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि, जनता कर्ज में डूब रही है और मोदी जी के परम मित्र मुनाफा कमा रहे हैं, उनकी संपत्ति बढ़ती ही जा रही है। सीधा सवाल यह है कि जब सारे सरकारी प्रोजेक्ट पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप या प्राइवेट भागीदारी से ही हो रहे हैं तो देश पर कर्जा क्यों बढ़ रहा है।

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दरअसल, जयराम रमेश ने न्यूज पेपर की कटिंग को शेयर किया है। उन्होंने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा कि, अच्छे दिन” का कर्ज़ा! मोदी सरकार ने पिछले ग्यारह सालों में देश की अर्थव्यवस्था का बंटाधार कर दिया है। लोगों के जीवन को बेहतर बनाने में कोई प्रयास नहीं किया गया, केवल पूंजीपति मित्रों के लिए सारी नीतियां बनाई गईं, जिसके नुकसान आज देश की जनता भुगत रही है। यह सच्चाई किसी न किसी तरह हर रोज हमारे सामने आ रही है।

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की ताजा रिपोर्ट से भारत की अर्थव्यवस्था की चिंताजनक तस्वीर सामने आई है। सरकार कि ओर से आंकड़ेबाजी और एक्सपर्ट्स का सहारा लेकर असली कमियों को छुपाने की कोशिश लगातार जारी है, लेकिन इस सच्चाई से कोई इनकार नहीं कर सकता कि देश पर कर्ज का बोझ मोदीराज में चरम पर है।

इसके साथ ही लिखा, 2 साल में प्रति व्यक्ति कर्ज ₹90,000 बढ़कर ₹4.8 लाख हो गया है। आमदनी का 25.7% हिस्सा सिर्फ कर्ज चुकाने में जा रही है। सबसे ज्यादा 55% लोन तथाकथित रूप से क्रेडिट कार्ड, मोबाइल EMI आदि के लिए जा रहा है, जिसका मतलब है इस महंगाई में परिवारों की आय में उनका गुजारा नहीं हो रहा है और वे कर्ज लेने पर मजबूर हैं। असुरक्षित कर्ज 25% पार हो चुका है। सबसे चिंताजनक बात यह है कि मार्च 2025 तक भारत पर दूसरे देशों/बाहरी कर्ज 736.3 बिलियन डॉलर था, जो पिछले साल की तुलना में 10 प्रतिशत ज्यादा है।

साथ ही लिखा कि, युवाओं को नौकरी नहीं, किसान आत्महत्या कर रहे, महंगाई से जनता त्रस्त, संवैधानिक संस्थाओं को कुचला जा रहा…जनता कर्ज में डूब रही है और मोदी जी के परम मित्र मुनाफा कमा रहे हैं, उनकी संपत्ति बढ़ती ही जा रही है। सीधा सवाल यह है कि जब सारे सरकारी प्रोजेक्ट पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप या प्राइवेट भागीदारी से ही हो रहे हैं तो देश पर कर्जा क्यों बढ़ रहा है। हर देशवासी पर 4,80,000 रु कर्जा क्यों हो गया है?

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