महिलाएं चूल्हे पर मिट्टी के बर्तनों में खाना बनाया करती थीं। अधिकतर बर्तन भी मिट्टी के हुआ करते थे। घड़े का पानी पीते थे
HealthCare : पुराने समय की महिलाएं चूल्हे पर मिट्टी के बर्तनों में खाना बनाया करती थीं। अधिकतर बर्तन भी मिट्टी के हुआ करते थे। घड़े का पानी पीते थे। उस समय के लोगों को किसी तरह का कोई रोग नहीं होता था। जितना आजकल के लोग छोटे- छोटे बच्चों और युवा रोग से ग्रसित हो रहे हैं। ये लाईने हम नहीं बल्कि घर के बड़े बुजुर्गों को कहते हुए आपने भी सुना होगा।आज हम आपको मिट्टी के बर्तनों में पके खाने और पकाने के फायदें के बारे में बताने जा रहे हैं।
मिट्टी के बर्तन में खाना पकाने और खाने से इसका टेस्ट तो बढ़ता ही है, खाने में सोंधा पन आ जाता है। साथ ही मिट्टी में पका खाना खाने से स्वस्थ्य के लिए भी बेहद फायदेमंद है। अब तो मिट्टी के बर्तन के नाम पर कुछ घरों में पानी वाले केवल घड़े ही दिखते हैं। बदलते समय के साथ घरों में मिट्टी के बर्तनों ने एल्मुनियम, नॉनस्टिक ने ले ली। पुराने समय में महिलाए घरों में मिट्टी के बर्तन का ही इस्तेमाल करती थी।
वक्त के साथ यह परंपरा धीरे-धीरे खत्म हो गई । मिट्टी के बर्तन में खाना बनाते समय खाने में मौजूद पोषक तत्व नष्ट नहीं होते इसकी जगह यदि हम एलुमिनियम या स्टील के बर्तन का प्रयोग करते हैं। भोजन बनाते समय भोजन में मौजूद बहुत से पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं लेकिन मिट्टी के बर्तन में खाना बनाते समय ऐसा बिल्कुल नहीं होता और मिट्टी के बर्तन में भोजन में मौजूद सारे पोषक तत्व सही मात्रा में रहते हैं। चूंकि मिट्टी के बर्तन में खाना बनाने से भोजन में सारे पोषक तत्व अच्छी मात्रा में मौजूद रहते हैं इसीलिए हमें पेट की सभी तरह की समस्याओं में आराम मिलता है।
मिट्टी के बर्तनों का चलन अब वापस आ रहा है। बाजारों में मिट्टी के भगोने, कूकर, कढ़ाई और अन्य बर्तन उपलब्ध हैं। यहां तक की पानी की बोतल और ग्लास भी बाजार में आसानी से मिल रहे हैं। बड़े बड़े रेस्टोरेंट और होटलों में हांडी चिकन. हांडी बिरयानी या अन्य खाने की मांग भी बढ़ गई है। साथ ही कुज्झे वाली चाय की दीवानगी तो किसी से छिपी नहीं हैं।