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जिस यूनिवर्सिटी में एक भी छात्र नहीं, यूपी सरकार ने उनसे कर लिया 35 हजार करोड़ का एमओयू! विपक्ष ने घेरा

उत्तर प्रदेश सरकार आगामी फरवरी में होने वाले इन्वेस्टर्स समिट को लेकर तैयारियां कर रही है। इस इन्वेस्टर्स समिट को लेकर योगी सरकार कई एमओयू साइन कर रही है। इसके जरिए हजारों करोड़ के निवेश के साथ बड़े स्तर पर रोजगार के भी रास्ते खुलने के दावे किए जा रहे हैं। लेकिन इससे पहले एमओयू साइ​न को लेकर बवाल खड़ा हो गया है।

By टीम पर्दाफाश 
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लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार आगामी फरवरी में होने वाले इन्वेस्टर्स समिट को लेकर तैयारियां कर रही है। इस इन्वेस्टर्स समिट को लेकर योगी सरकार कई एमओयू साइन कर रही है। इसके जरिए हजारों करोड़ के निवेश के साथ बड़े स्तर पर रोजगार के भी रास्ते खुलने के दावे किए जा रहे हैं। लेकिन इससे पहले एमओयू साइ​न को लेकर बवाल खड़ा हो गया है। दरअसल, योगी सरकार के मंत्री विदेश दौरे पर थे और उन्होंने एक ऐसी यूनिवर्सिटी के साथ एमओयू साइन किया जिसका लाइसेंस भी कुछ दिनों पहले ही कैंसिल हो चुका है। अब इसको लेकर विपक्ष ने सरकार पर सवाल खड़े किए हैं।

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यूपी सरकार ने अमेरिका की ऑस्टिन यूनिवर्सिटी के साथ 35000 करोड़ समझौता किया था, जो अब सवालों के घेरे में है। मीडिया रिपोर्ट की माने तो समझौते के मुताबिक, अमेरिका की ऑस्टिन यूनिवर्सिटी यूपी में 5 हजार एकड़ में नॉलेज सिटी बनाने वाली थी। लेकिन यूनिवर्सिटी की वेबसाइट के मुताबिक वहां अब कोई भी स्टूडेंट इन रोल नहीं है। यूनिवर्सिटी की मान्यता ही रद्द की जा चुकी है। यही न हीं अब वहां पर ​सिर्फ यहां सिर्फ 25 प्रतिशत शिक्षक ही रह गए हैं। हालांकि, यूपी सरकार का कहना है कि उसने ऑस्टिन यूनिवर्सिटी नहीं, ऑस्टिन कंसल्टिंग ग्रुप के साथ ये समझौता किया है।

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मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो जिस यूनिवर्सिटी के साथ यूपी सरकार ने समझौता किया है, वह एक छत के नीचे चलती है। इतना ही नहीं यूनिवर्सिटी में एक भी छात्र भी नहीं पढ़ता। अमेरिका की ब्यूरो फॉर प्राइवेट पोस्ट सेकेंडरी एजुकेशन ऑस्टिन यूनिवर्सिटी के संचालन के लिए जरूरी लाइसेंस को पहले ही कैंसिल कर चुकी है।

अखिलेश यादव ने बताया झूठा प्रचार
इस मामले को लेकर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने यूपी सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि, उप्र में निवेश लाने के नाम पर मंत्रियों को जनता के पैसों पर विदेश घुमाया जा रहा है और छद्म करार करके झूठा प्रचार किया जा रहा है। भाजपा सरकार ये बताये कि पिछली बार निवेश के जो करार हुए थे उनका लेखाजोखा कब देगी या वो भी ‘पंद्रह लाखी जुमला’ के समान खोखले थे।

 

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