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ये हैं देश के प्रमुख मंदिर जहां सावन में लगता है शिव भक्तों का तांता

सवान में शिव की आराधना आदि काल से ही होती आ रही है। सवान मास (Sawan 2021) का धार्मिक रूप से बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है।

By अनूप कुमार 
Updated Date

Sawan 2021: सवान में शिव की आराधना आदि काल से ही होती आ रही है। सवान मास (Sawan 2021) का धार्मिक रूप से बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है। सवान एक पूरा एक मास ही भगवान भोले नाथ (Lord Bhole Nath) को समर्पित है। सावन का महीना आज 25 जुलाई से शुरू हो गया है। कर्क राशि में नक्षत्र श्रवण रहेगा, सूर्य भी कर्क में रहेगा और मकर राशि ( Capricorn) में चंद्र रहेगा प्रात: 10 बजकर 49 मिनट तक इसके बाद कुंभ में चला जाएगा। श्रवण नक्षत्र 11:18 तक रहेगा और उसके बाद धनिष्ठा लगेगा जो अगले दिन प्रात: 10:26 तक रहेगा।

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इस मास में प्रत्येक नर नारी भगवान भोले नाथ की भक्ति अपनी शक्ति के अनुसार करता है। सावन में भोले नाथ की भक्त बेल पत्र,ऋतु पुष्प, गंगा जल , शहद ,धतूरा, भांग, गन्ना, बेर और शक्ति के अनुसार उनके भोग प्रसाद से प्रतिदिन महादेव की पूजा अर्चना करते हैं। धार्मिक मान्यता है कि सावन के महीने में भगवान शिव और माता पार्वती की विधि-विधान से पूजा करने पर भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है।

आज हम आपको बताने जा रहे हैं ऐसे पवित्र शिवालयों के बारे में जहां के बारे मान्यता है कि वहां के दर्शन के मात्र से जीवन में हर कष्टों से मुक्ति मिल जाती है। ये सिद्ध देवालय आदि काल से भक्तों के आस्था के केंंद्र है। भक्तगण अपनी मनोकामना लेकर यहां जाते है और मनोवांक्षित फल प्राप्त करते हैं।

सोमनाथ

भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों  में से एक सोमनाथ मंदिर असंख्य भक्तों की आस्था और विश्वास का केंद्र है।

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मल्लिकार्जुन

आन्ध्र प्रदेश प्रान्त के कृष्णा जिले में कृष्णा नदी के तटपर श्रीशैल पर्वत पर श्रीमल्लिकार्जुन विराजमान हैं। इसे दक्षिण का कैलाश कहते हैं।

महाकालेश्वर

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श्री महाकालेश्वर (मध्यप्रदेश) के मालवा क्षेत्र में क्षिप्रा नदी के तटपर पवित्र उज्जैन नगर में विराजमान है। उज्जैन को प्राचीनकाल में अवन्तिकापुरी कहते थे।हते हैं।

 

ॐकारेश्वर

मालवा क्षेत्र में श्रीॐकारेश्वर स्थान नर्मदा नदी के बीच स्थित द्वीप पर है। उज्जैन से खण्डवा जाने वाली रेलवे लाइन पर मोरटक्का नामक स्टेशन है, वहाँ से यह स्थान 10 मील दूर है।

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केदारनाथ
श्री केदारनाथ हिमालय के केदार नामक श्रृंगपर स्थित हैं। शिखर के पूर्व की ओर अलकनन्दा के तट पर श्री बदरीनाथ अवस्थित हैं और पश्चिम में मन्दाकिनी के किनारे श्री केदारनाथ हैं।

 

 

भीमाशंकर

श्री भीमशंकर का स्थान मुंबई से पूर्व और पूना से उत्तर भीमा नदी के किनारे सह्याद्रि पर्वत पर है। यह स्थान नासिक से लगभग 120 मील दूर है।

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काशी विश्वनाथ

वाराणसी (उत्तर प्रदेश) स्थित काशी के श्रीविश्वनाथजी सबसे प्रमुख ज्योतिर्लिंगों में एक हैं। गंगा तट स्थित काशी विश्वनाथ शिवलिंग दर्शन हिन्दुओं के लिए सबसे पवित्र है।

 

त्र्यम्बकेश्वर

श्री त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र प्रान्त के नासिक जिले में पंचवटी से 18 मील की दूरी पर ब्रह्मगिरि के निकट गोदावरी के किनारे है।

 

रामेश्वर

श्रीरामेश्वर तीर्थ तमिलनाडु प्रान्त के रामनाड जिले में है। यहाँ लंका विजय के पश्चात भगवान श्रीराम ने अपने अराध्यदेव शंकर की पूजा की थी। ज्योतिर्लिंग को श्रीरामेश्वर या श्रीरामलिंगेश्वर के नाम से जाना जाता है।

 

घृष्णेश्वर

श्रीघुश्मेश्वर (गिरीश्नेश्वर) ज्योतिर्लिंग को घुसृणेश्वर या घृष्णेश्वर भी कहते हैं। इनका स्थान महाराष्ट्र प्रान्त में दौलताबाद स्टेशन से बारह मील दूर बेरूल गाँव के पास है।

 

 

 

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