पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने इमरान खान सरकार (Imran Khan Government) को गुरुवार को बड़ा झटका दिया है। पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इमरान खान सरकार (Imran Khan Government) के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के दौरान डिप्टी स्पीकर ने जो फैसला दिया था वह गलत था। पाकिस्तानी अखबार डॉन (Pakistani Newspaper Don) के मुताबिक पाकिस्तान में सुप्रीम कोर्ठ के चीफ जस्टिस अता बांदियाल ने कहा कि यह बात साफ है कि 3 अप्रैल को नेशनल असेंबली (National Assembly) के डिप्टी स्पीकर ने अविश्वास प्रस्ताव को खारिज किया, वह पूरी तरह से गलत था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमें देश हित में देखना होगा। इस पर फैसला सुरक्षित रख लिया है।
नई दिल्ली। पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने इमरान खान सरकार (Imran Khan Government) को गुरुवार को बड़ा झटका दिया है। पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इमरान खान सरकार (Imran Khan Government) के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के दौरान डिप्टी स्पीकर ने जो फैसला दिया था वह गलत था। पाकिस्तानी अखबार डॉन (Pakistani Newspaper Don) के मुताबिक पाकिस्तान में सुप्रीम कोर्ठ के चीफ जस्टिस अता बांदियाल ने कहा कि यह बात साफ है कि 3 अप्रैल को नेशनल असेंबली (National Assembly) के डिप्टी स्पीकर ने अविश्वास प्रस्ताव को खारिज किया, वह पूरी तरह से गलत था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमें देश हित में देखना होगा। इस पर फैसला सुरक्षित रख लिया है।
पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने एक नहीं कई बार ऐसे काम किये हैं, जिसके बाद यहां की सुप्रीम कोर्ट अब भी बेधड़क होकर न्यायपालिका की निष्पक्षता और मजबूती को जिंदा रखे हुए है। पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने इमरान खान की सरकार और राष्ट्रपति द्वारा राष्ट्रीय असेंबली को भंग किए जाने के बाद जिस तरह की प्रतिक्रिया जाहिर की और इसका स्वत: संज्ञान लिया, उसकी पूरी दुनिया में पाकिस्तान की न्याय पालिका की सराहना कर रहे हैं।
पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश उमर अता बांदियाल ने पाकिस्तान राष्ट्रीय असेंबली को 03 अप्रैल की शाम राष्ट्रपति आरिफ अल्वी द्वारा भंग करने के बाद तुरंत प्रतिक्रिया दी थी। कहा था कि राष्ट्रीय असेंबली में जिस तरह अविश्वास प्रस्ताव को खारिज किया गया और फिर इमरान खान सरकार की सिफारिश पर राष्ट्रपति ने असेंबली को भंग कर दिया, वो कानून और अदालत के दायरे में आता है।
बनाई तीन सदस्यीय बेंच
बांदियाल एक कदम और आगे बढ़ते हुए उन्होंने तुरत फुरत एक तीन सदस्यीय बेंच बना दी, जिसमें वो खुद हैं और वो 24 घंटे के अंदर ही इसकी सुनवाई कर रही है। वैसे भी इमरान खान सरकार के कदमों को पाकिस्तान के कानूनविद एकसिरे से असंवैधानिक और गलत करार दे चुके हैं।
ऐसी हालत में सुप्रीम कोर्ट आगे आते हुए पाकिस्तान के हुक्मरानों खासकर इमरान खान की सांसें जरूर अटका दी हैं? अगर सुप्रीम कोर्ट ने अविश्वास प्रस्ताव को खारिज करने और असेंबली भंग करने को गलत पाया तो इमरान का देश में चुनाव कराने का फैसला भी पलट सकता है। इसके साथ ही नई गठजोड़ सरकार के सत्ता में आने की उम्मीदें भी बढ़ सकती हैं।
बांदियाल है सख्त जज
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बांदियाल की तुरंत हरकत में आने से इमरान खान सांसत में जरूर पड़ गए हैं। बांदियाल का मानना है कि वो रीढ़ वाले सख्त जज हैं, जो कानून और न्यायपालिका के सम्मान और प्रतिष्ठा को सबसे आगे रखते हैं।
जनरल मुशर्रफ से भिड़ चुके हैं बांदियाल
बांदियाल वर्ष 2007 में तब चर्चा में आ गए थे, जब जनरल परवेज मुशर्रफ ने पाकिस्तान में तख्ता पलट किया था। तब वो लाहौर हाई कोर्ट में जज थे। सभी जजों से कहा गया कि उन्हें नए संविधान के तहत दोबारा शपथ लेनी होगी, तब जस्टिस बांदियाल ऐसे अकेले जज थे, जिन्होंने ऐसा करने से मना कर दिया। वकीलों का एक बड़ा आंदोलन उनके पक्ष में चला और उन्हें जज के तौर पर मुशर्रफ को बरकरार रखना पड़ा।
दो महीने पहले बने हैं चीफ जस्टिस
पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश उमर अता बांदियाल जब फैसला करते हैं तो किसी को बख्शते नहीं है। सावधानी से हर पहलू को जांचते हैं। वह केवल दो महीने पहले ही पाकिस्तान के नए और 28वें सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बने हैं। जब वो इस पर आसीन हुए तो सबसे बड़ा सवाल यही था कि पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट के सामने लंबित पड़े 51000 से ज्यादा केसों का क्या होगा। ऐसे में जब पहले महीने ही बांदियाल ने 1761 मामलों में फैसले कर डाले तो लोगों को भरोसा बंधने लगा कि वो तेजी से काम करने वाले ऐसे चीफ जस्टिस भी हैं, जो पाकिस्तान की न्यायपालिका को मजबूती देंगे।
जानें मुख्य न्यायधीश उमर अता बांदियाल की क्या है पारिवारिक पृष्ठभूमि
63 साल के बांदियाल ऐसे परिवार से ताल्लुक रखते हैं, जिसमें उनके पिता पहले लाहौर के डिप्टी कमिश्नर रहे हैं। वर्ष 1993 में कुछ समय के लिए मंत्री रह चुके हैं। पिता के सरकारी सेवा में होने के कारण उनकी पढ़ाई कभी एक जगह नहीं हुई। कभी इस्लामाबाद तो कभी लाहौर तो कभी रावलपिंडी।
उसी कॉलेज में कानून की पढ़ाई की जहां गांधी, नेहरू और जिन्ना पढ़े
लगता है कि कानून में उनकी दिलचस्पी बाद में हुई, क्योंकि पहले उन्होंने कोलंबिया यूनिवर्सिटी से इकोनॉमिक्स में बैचलर डिग्री हासिल की थी। फिर वो कानून की पढ़ाई करने कैंब्रिज आ गए। वहां से प्रसिद्ध लिंकन इनन लॉ कालेज से उन्होंने बैरिस्टर एट लॉ के लिए क्वालिफाई किया। ये वही कानून का कॉलेज है, जहां से महात्मा गांधी, नेहरू, सरदार पटेल और मोहम्मद अली जिन्ना ने कानून की पढ़ाई की थी।
वकालत से करियर शुरू किया
बैरिस्टर बनने के बाद वो पाकिस्तान लौटे और आर्थिक मामलों की वकालत शुरू की. 1983 में उन्होंने खुद को लाहौर हाईकोर्ट में प्रैक्टिस के लिए इनरोल किया तो फिर सुप्रीम कोर्ट में वकालत करने लगे। वह पाकिस्तान में दिग्गज वकील कहे जाते थे, जो मुकदमा लड़ने के लिए इंटरनेशनल आर्बिट्रल ट्रिब्यून में कभी लंदन तो कभी पेरिस जाया करते थे। कामर्शियल, बैंकिंग, टैक्स, प्रापर्टी मामलों में उनकी विशेषज्ञता रही है।
फिर लाहौर हाईकोर्ट के जज बने
लंबे समय तक वकालत करने के बाद उन्हें लाहौर हाईकोर्ट में वर्ष 2004 में जज नियुक्त किया गया। फिर वो वहीं चीफ जस्टिस बने। इसके बाद वर्ष 2014 में वह पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट में पहुंचे। सबसे सीनियर होने के कारण इस साल जनवरी में देश की सर्वोच्च अदालत में शीर्ष पद पर उनका बैठना पक्का हो गया।
इतिहास मोड़ने की स्थिति में जस्टिस बांदियाल
वह अभी 16 सितंबर 2023 तक पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश बने रहेंगे। उनकी सक्रियता वास्तव में पाकिस्तान के सियासी हलकों में फिलहाल तो चर्चा का विषय बनी हुई है। खुद सेना के सामने भी वह एक चुनौती साबित हो रहे हैं। जस्टिस बांदियाल ने इससे पहले भी अपने देश में कई साहसिक फैसले दिये हैं लेकिन अक्सर आपके करियर में कुछ ऐसे मोड़ आते हैं, जहां हर किसी की निगाह आप पर होती है और आप इतिहास को मोड़ने की स्थिति में होते हैं, जस्टिस बांदियाल उसी मोड़ पर हैं।
बांदियाल दखलंदाजी नहीं करते बर्दाश्त
निश्चित तौर पर उन पर इन दिनों काफी दबाव भी होगा, लेकिन पाकिस्तान का डान अखबार उनके बारे में लिखता है कि अपने पूरे करियर में वो कभी झुकने वाले शख्स नहीं रहे। वह बहुत विनम्रता से बोलते हैं लेकिन किसी भी तरह की कोई दखलंदाजी बर्दाश्त नहीं करते। देखने वाली बात होगी कि पाकिस्तान के चीफ जस्टिस अब क्या फैसला देते हैं, जिससे पाकिस्तान का भविष्य भी जुड़ा हुआ है।