HBE Ads
  1. हिन्दी समाचार
  2. मनोरंजन
  3. “Tvameva Sarvam” short film : “त्वमेव सर्वम” पिता का भाव और जीवन के अभाव का सच्चा सिनेमा, पिता-पुत्र परंपरा की जीवंत फ़िल्म

“Tvameva Sarvam” short film : “त्वमेव सर्वम” पिता का भाव और जीवन के अभाव का सच्चा सिनेमा, पिता-पुत्र परंपरा की जीवंत फ़िल्म

आजकल तेजी से बदलते वैश्विक परिवेश में संस्कार और परंपराओं को आगे बढ़ाने की कड़ी में एक काशिश का नाम लघु फ़िल्म "त्वमेव सर्वम" है। यह फिल्म पिता-पुत्र परंपरा को सींचती हुई जीवन के सच को दिखलाती है।

By अनूप कुमार 
Updated Date

“Tvameva Sarvam” short film : आजकल तेजी से बदलते वैश्विक परिवेश में संस्कार और परंपराओं को आगे बढ़ाने की कड़ी में एक काशिश का नाम लघु फ़िल्म “त्वमेव सर्वम” है। यह फिल्म पिता-पुत्र परंपरा को सींचती हुई जीवन के सच को दिखलाती है। इस दर्शनीय फ़िल्म में पिता का भाव और जीवन का अभाव दोनों साथ साथ चलते हुए एक सच्चाई निभाते है। भारतीय संस्कृति और पौराणिक साहित्य में माता-पिता और गुरु को जो सर्वोच्च सम्मान और स्थान दिया गया है, शायद उतना कहीं और किसी सभ्यता व संस्कृति में देखने को नहीं मिलेगा। समाज में पिता का दर्द और पुत्र के आस की संवेदनशीलता को कला के माध्यम से पर्दे पर उतारने में  “त्वमेव सर्वम” की पूरी टीम का मनोयोग फिल्म में साफ दिखता है।

पढ़ें :- Ghatkopar Hoarding Collapse : बॉलीवुड स्टार कार्तिक आर्यन के मामा-मामी की हादसे में मौत, 3 दिन बाद मिले शव

अनुपम संदेश
फिल्म में संजय मिश्रा और बिक्रम बतौर अभिनेता सारे पिताओं और पुत्रों के ईमानदार और कर्मठ प्रतिनिधि नज़र आते हैं। फिल्म में पिता मूलचंद रजक की भूमिका दर्शकों के दिलों में गहराई तक जुड़े अभिनेता संजय मिश्रा ने निभाई है और बिक्रम ने पुत्र जीवन एस रजक की। आज घर-घर में पिता-पुत्रों के बीच आपसी कटुता, वैमनस्ता और झगड़ा देखने को मिलता है। भौतिकवाद आधुनिक युवावर्ग के सिर चढ़कर बोल रहा है। उसके लिए संस्कृति और संस्कारों से बढ़कर सिर्फ निजी स्वार्थपूर्ति और पैसा ही रह गया है। यह लघु फ़िल्म अपनी कथावस्तु और अनुपम संदेश  के कारण लघुता में भी खुद को दीर्घकाय  साबित करती है।

जीवन की कहानी
इस दुनिया में शायद ही कोई ऐसा पिता होगा जो खुद अशिक्षित होने का अफसोस पालते हुए भी अपने बच्चों को पढ़ा -लिखा कर बड़ा आदमी बनाने का सपना न देखता हो। यह फिल्म बिक्रम सिंह की जीवटता,जुनून और अदम्य जोश का प्रमाण है। यह फिल्म अस्तित्व में आये ,इसके लिए उन्होंने बहुत कोशिश  की है और जीवन एस रजक जी ने उन पर गहरा विश्वास जताते हुए अपने ही जीवन की कहानी को फ़िल्म  का रूप दे दिया है,यह  अकाट्य तथ्य है।

अत्यंत प्रेरणास्पद
बिक्रम सिंह ने साबित किया है कि यद्यपि  वो संघर्षशील हैं ,मगर  निःसंदेह एक समर्थ अभिनेता हैं। अवसर मिला तो सिनेमा के क्षितिज पर धूमकेतु की तरह उभर सकते हैं। फिल्म में कथानायक कई नौकरियां पाता, छोड़ता और अंततः उच्च प्रशासनिक पद पर पहुंच कर ही दम लेता है।अपना कैरियर बनाने में लगे स्वप्नदर्शियों  के लिए यह फिल्म अत्यंत प्रेरणास्पद है ।

उपलब्धियों के पैमाने पर खरे उतरे

दरअसल पिता वो होता है जो अपने अधूरे अथवा टूटे हुए सपनों को अपने बेटे में  ढूंढ़ता है। वास्तविक जीवन में बेटे को बड़ी सफलता दिलाने में मूलचंद भी सफल हुए हैं और जीवन एस रजक भी उपलब्धियों के पैमाने पर खरे उतरे हैं। उच्च पद की तलाश में लगे युवाओं को यह शॉर्ट फिल्म जरूर देखनी चाहिए।

पढ़ें :- Chhota Bheem Trailer Out: ढोलकपुर के दुश्मनों के छक्के छुड़ाने आ रहे छोटा भीम, रिलीज हुआ फिल्म का ट्रेलर

मनोबल पहाड़ बना दिया
पिता की माली हालत कैसी भी हो, उसे इस फ़िल्म से सबक लेकर अपनी संतानों के लिए एक आसमान जरूर रचना चाहिए। फिल्म में अभिनेता संजय मिश्रा के संवाद सभी दर्शकों को जुनूनी बनाते है। अभिनेता संजय मिश्रा के संवाद ने एक ने पिता के वास्तविक जज्बात से बेटे का मनोबल पहाड़ बना दिया।

जो ठान लिया वही करना है।
बाप का बहुत महत्व है जिंदगी में
हारे हुए को जिता दे, जीते को हरा दे

हम है गरीब हम पैसा नहीं लगा सकते
खुद मेहनत करो
जहां तक दौड़ोगे वहां तक रास्ता बना देंगे

मैदान में उतरो, सबसे आगे रहो

मनोज तिवारी के कुशल निर्देशन की ईमानदारी से प्रशंसा करनी होगी। यह फिल्म विशेष रूप से जीवन एस रजक ,संजय मिश्रा और बिक्रम  सिंह की फिल्म है।

पढ़ें :- 2 बार तलाक होने के बाद Shweta Tiwari का फिर 10 साल छोटे एक्टर संग जुड़ा नाम

 

इन टॉपिक्स पर और पढ़ें:
Hindi News से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक, यूट्यूब और ट्विटर पर फॉलो करे...