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गाड़ियों पर मिलने वाले इंश्योरेंस में होने वाले कंफ्यूजन को समझें

By शिव मौर्या 
Updated Date

नई दिल्ली। जब भी हम कोई नयी गाड़ी लेने जाते है। गाड़ियों पर मिलने वाले इंश्योरेंस को लेकर एक बड़ा तबका कंफ्यूज रहता है। हम चार चक्के की गाड़ी ले या दो चक्के की ले हमें इंश्योरेंस कराना जरूरी होता है। अब तो सरकार ने इंश्योरेंस को लेकर एक नया नियम बना दिया है। बिना इंश्योरेंस वाले गाड़ियों पर 2 हजार जुर्माना या 3 महीने तक की जेल भी हो सकती हैं। जब भी हम कोई नई गाड़ी लेते है हमें दो प्रकार के इंश्योरेंस के बारे में बताया जाता है। पहला फर्स्ट पार्टी और दूसरा थर्ड पार्टी इंश्योरेंस ये वो दो प्रकार के इंश्योरेंस होते है। आगे हम इन दोनो के बारे में विस्तार से समझेंगे।

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फर्स्ट पार्टी इंश्योरेंस – इस इंश्योरेंस में जब हमारी गाड़ी किसी के गाड़ी से टकराती है। गाड़ी में होने वाली क्षती, शारीरिक क्षती और जिससे हमारी गाड़ी टकराई है उस गाड़ी में हुई इंजरी के लिए भी क्लेम मिलता है। ये जीरो डेप्थ का इंश्योरेंस होता है। इस डेप्थ में सारी चिजें कवर होती हैं। हम इसका फायदा साल में दो बार क्लेम कर के ले सकते है।

थर्ड पार्टी – इस इंश्योरेंस में क्लेम करने पर इसका फायदा हमें न मिलकर हमारी गाड़ी जिससे टकराई होती है उसे फायदा पहुंचता हैं। इसके अंतर्गत गाड़ी अगर चोरी हो जाए तो हम इसका फायदा नहीं ले सकते है। ये चीज कवर नहीं होती हैं। ये इंश्योरेंस का उपयोग गाड़ी के कागज को पूरा रखने के उद्देश्य से किया जाता है।

इंश्योरेंस 50 प्रतिशत क्लेम – यह भी फर्स्ट पार्टी इंश्योरेंस का ही एक हिस्सा होता है। पर इसमें शर्ते और नियम लागू होती है। इसमें वाहन के दुर्घटनाग्रस्त होने पर कंपनी 50 प्रतिशत ही देती है बाकी का भुगतान वाहन मालिक को करना पड़ता है। ये बीमा गाड़ी के मालिक और ड्राइवर के लिए अनिवार्य होती है।

 

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