भाजपा यूपी नगर निकाय चुनाव 2023 में कोई कसर नहीं छोड़ना चाह रही है। पार्टी के बड़े-बड़े कद्दावर नेता प्रचार की कमान संभाल लिए हैं। इसके साथ ही हर वार्ड जीतने के लिए पसीना बहा रहे हैं। इन सबके बीच पीएम नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में भारतीय जनता पार्टी के लिए बागी बने प्रत्याशी मुसीबत का सबब बन रहे हैं।
वाराणसी। भाजपा यूपी नगर निकाय चुनाव 2023 में कोई कसर नहीं छोड़ना चाह रही है। पार्टी के बड़े-बड़े कद्दावर नेता प्रचार की कमान संभाल लिए हैं। इसके साथ ही हर वार्ड जीतने के लिए पसीना बहा रहे हैं। इन सबके बीच पीएम नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में भारतीय जनता पार्टी के लिए बागी बने प्रत्याशी मुसीबत का सबब बन रहे हैं।
बता दें कि वाराणसी में 28 ऐसे बागी प्रत्याशी हैं, जिनको पार्षद का टिकट न मिलने की वजह से उन्होंने निर्दल ही बीजेपी से हटकर चुनाव लड़ने का फैसला किया। इसके बाद पार्टी ने कड़ा रुख अख्तियार करते हुए शनिवार देर रात बागी नेताओं समेत 28 से ज्यादा कार्यकर्ताओं को पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया।
नगर निकाय चुनाव के पहले चरण का मतदान 4 मई को है। भारतीय जनता पार्टी महानगर अध्यक्ष विद्यासागर राय की तरफ से शनिवार को एक पत्र जारी किया गया। इसमें कहा गया कि प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी के निर्देश पर वाराणसी में बागियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की गई है। इस कार्रवाई में भारतीय जनता पार्टी से नगर निगम चुनाव में पार्षद का टिकट न मिलने की वजह से नाराज 28 कार्यकर्ताओं ने निर्दल ही अपना पर्चा दाखिल कर दिया। वह अभी भी चुनावी मैदान में डटे हुए हैं। बार-बार मना करने के बाद भी नहीं मान रहे हैं।
उन्होंने कहा कि आदि विशेश्वर वार्ड से शकील अहमद, चेतगंज से विनय जायसवाल और शंकर साहू, हबीबपुरा से मनीष गुप्ता, पितृ कुंडा से विजय चौरसिया, पियरी कला से गिरीश चंद्र श्रीवास्तव, देवेश शर्मा, राजेंद्र प्रसाद गुप्ता, और विपिन गुप्ता पार्टी से बागी हो गए हैं। इसके अतिरिक्त प्रहलाद घाट से सौरव कक्कड़ काल भैरव वार्ड से संजय विश्वामभरी, कोनिया से रजत, मध्यमेश्वर से कृष्णकांत तिवारी समेत अन्य बागी हुए नेताओं को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। तुलसीपुर वार्ड से प्रत्याशी के विरोध में काम करने वाले आदित्य शर्मा, भरत जायसवाल, पूर्व पार्षद धीरू यादव वैभव मिश्रा, मनोज कुशवाहा वार्ड के अध्यक्ष हरिओम जयसवाल समेत अन्य कई कार्यकर्ताओं को भी पार्टी से 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया गया।