नई दिल्ली। साल 2013 में जून का महीना था। भारत की वो जगह जिसे देवभूमि कहा जाता है वो उतराखण्ड में है। उतराखण्ड स्थित केदारनाथ धाम में कुदरत ने कहर बरपाया था। ग्लेशियर पीघलने की खबर जब आई उस समय के सारे खौफनाक मंजर याद आ गये। उतराखण्ड ने देश की सबसे विनाशकारी त्रासदियों में से एक का सामना किया था। लगातार होने वाली बारिश और ग्लेशियर्स के पिघलने से इस पहाड़ी राज्य की नदियां उफनने लगीं थीं।
मानसून भी समय से पहले आ गया था। ये सारी स्थितियों ने मिलकर एक विनाशकारी परिस्थितियां पैदा कर दी। केदारनाथ त्रासदी ने चालीस हजार वर्ग किलोमीटर से ज्यादा इलाके में तबाही मचाई थी। हजारों लोग मारे गए। इतने ही लापता भी हुए। सबसे दुखद यह कि इनमें से कोई भी कभी नहीं मिला। आज सात साल सात महीने और 25 दिन बाद फिर शायद वैसी ही एक त्रासदी की खबर आई है। इस बार भी देवभूमि उत्तराखंड को ही कुदरत ने अपना निशाना बनाया है।
राज्य के चमोली जिले के जोशीमठ में ग्लेशियर टूटने की वजह से धौलीगंगा नदी में बाढ़ आ गई है। इसकी वजह से आसपास के गांव में बाढ़ के पानी फैलने की आशंका है। आसपास के गांवों से लोगों को निकाला जा रहा है। नदी के कई तटबंध टूटने के बाद बाढ़ का अलर्ट भी जारी किया गया है। माना जा रहा है कि इससे ऋषिगंगा प्रोजेक्ट को नुकसान पहुंचा है। आस—पास के सभी गावों और कस्बों को अलर्ट कर दिया गया है। उतराखण्ड सरकार जल्द से जल्द इस आपदा पर काबू पाने की हर संभव कोशिश में लग गई है।
उतर प्रदेश की एनडीआरएफ की टीम को भी तैयार रहने के लिए कहा गया है। उतर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस घटना पर लागातार नजरें बनाएं हुए है। जैसी भी स्थिती पैदा होगी उतराखण्ड की सरकार को उतर प्रदेश की सरकार हरसंभव मदद करेगी।