दशहरे का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न हैं। अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को इसका आयोजन होता है। भगवान राम ने इसी दिन रावण का वध किया था तथा देवी दुर्गा ने नौ रात्रि एवं दस दिन के युद्ध के उपरान्त महिषासुर पर विजय प्राप्त की थी।
Vijayadashami 2021: दशहरे का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न हैं। अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को इसका आयोजन होता है। भगवान राम ने इसी दिन रावण का वध किया था तथा देवी दुर्गा ने नौ रात्रि एवं दस दिन के युद्ध के उपरान्त महिषासुर पर विजय प्राप्त की थी। इस दिन भगवान श्रीराम की उनके परिवार और सेना की पूजा का विधान होता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन जो कार्य आरम्भ किया जाता है उसमें विजय मिलती है। इस दिन ही आयुध पूजा भी होती है। कहा जाता है शमी का पूजन करने से आयु, आरोग्य और शक्ति में वृद्धि होती है। समस्त पापों का नाश होता है।
परंपरागत रूप से विजयादशी के दिन शमी की पूजा क्षत्रियों तथा प्राचीनकाल में राजा-महाराजाओं द्वारा की जाती रही है। आज यह परंपरा अनेक क्षत्रिय घरों में निभाई जाती है। इसके लिए शहर के उत्तर-पूर्व दिशा में स्थित शमी के पेड़ का पूजन किया जाता है। दशहरे के दिन शमी का पौधा न काटना चाहिए न उखड़ना। इस दिन पौधा लगाना चाहिए और हो सके तो इसका दान भी करें।अब तो घरों के गमलों में लगे शमी के पौधे का भी पूजन किया जाता है। विजयादशमी के दिन शुभ मुहूर्त में शमी के पेड़ की पूजा की जाती है। पूजन का मंत्र इस प्रकार है-
अमंगलानां च शमनीं शमनीं दुष्कृतस्य च ।
दु:स्वप्ननाशिनीं धन्यां प्रपद्येहं शमीं शुभाम् ।।
शमी शमयते पापं शमी लोहितकण्टका ।
धारिण्यर्जुनबाणानां रामस्य प्रियवादिनी ।।
करिष्यमाणयात्रायां यथाकाल सुखं मया ।
तत्रनिर्विघ्नकर्त्रीत्वंभव श्रीराम पूजिते ।।
दशहरे के दिन सुबह भगवान श्रीराम और देवी पूजा के बाद शमी के पेड़ की जड़ में जल अर्पित करें। इसके बाद लाल रंग के पुष्प, फल, अर्पित करें। फिर घी या तिल के तेला दीया जलाएं और बाती इसमें मौली की रखें। इसके बाद चंदन और कुमकुमल लगाने के बाद धूप-अगरबत्ती दिखाएं। हाथ जोड़ कर शमी के समक्ष अपनी व्यथा कहें और उससे छुटकारे की प्रार्थना करें।