HBE Ads
  1. हिन्दी समाचार
  2. एस्ट्रोलोजी
  3. Vijayadashmi 2021: आज के दिन नीलकंठ पक्षी का दर्शन करना सौभाग्य सूचक माना जाता है, देखने पर पुराने प्रेमी से मिलने का योग होता है

Vijayadashmi 2021: आज के दिन नीलकंठ पक्षी का दर्शन करना सौभाग्य सूचक माना जाता है, देखने पर पुराने प्रेमी से मिलने का योग होता है

अश्विन महीने की शुरुआत माता के नौ रूपों की भक्ति के नौ दिनों के साथ होती है। इसी अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी के दिन दशहरे का त्योहार मनाया जाता है।

By अनूप कुमार 
Updated Date

Vijayadashmi 2021: अश्विन महीने की शुरुआत माता के नौ रूपों की भक्ति के नौ दिनों के साथ होती है। इसी अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी के दिन दशहरे का त्योहार मनाया जाता है। सत्य की असत्य पर जीत के इस पर्व को विजयादशमी भी कहते हैं। इतना ही नहीं ये पर्व वर्षा ऋतु की समाप्ति व शरद के प्रारंभ होने की सूचना भी देता है। मान्यता ये भी है कि मां दुर्गा ने महिषासुर नामक राक्षस का इसी दिन वध किया था। दशहरा के दिन शस्त्र पूजन करने की भी परंपरा है। विजयादशमी पर नीलकंठ पक्षी के दर्शन अत्यंत शुभ होता है।

पढ़ें :-  Masik Shivratri 2024 : मार्गशीर्ष माह की मासिक शिवरात्रि इस दिन पड़ेगी, जानें डेट और पूजा मुहूर्त

महादेव का मंगलकारी एवं शांत मूर्त के अंतर्गत एक सौम्य स्वरूप माना जाता है नीलकंठ। समुद्र मंथन के समय समुद्र से ‘हलाहल’ नामक विष निकला, उस समय सभी देवों की प्रार्थना तथा पार्वती जी के अनुमोदन से शिवजी ने हलाहल का पान कर लिया और हलाहल को उन्होंने कंठ में ही रोक लिया, जिससे उनका कंठ नीला पड़ गया और उन्हें नीलकंठ कहा जाने लगा। श्रीमद्भागवत के चौथे अध्याय में- ‘तत्पहेमनिकायाभं शितिकण्ठं त्रिलोचनम्’ कहकर भगवान शिव के नीलकंठ वाले सौम्य रूप का वर्णन किया गया है।

वर्तमान समय में नीलकंठ नामक पक्षी को भगवान शिव (नीलकंठ) का प्रतीक माना जाता है, उड़ते हुए नीलकंठ पक्षी का दर्शन करना सौभाग्य का सूचक माना जाता है। ‘खगोपनिषद्’ के ग्यारहवें अध्याय के अनुसार नीलकंठ साक्षात् शिव का स्वरूप है तथा वह शुभ-अशुभ का द्योतक भी है।

नीलकंठ का जूठा किया हुआ, फल खाने से मनवांछित लाभ, सौभाग्यवृद्धि एवं सुखमय वैवाहिक जीवन का योग बनता है।
पुरुष द्वारा सम्मुख नीलकंठ-दर्शन शुभकारी होता है।

उड़ता हुआ नीलकंठ अगर दाएं भाग में दिखाई दे तो, विजय-पराक्रम, बाईं ओर का दर्शन शत्रुनाश, पृष्ठभाग का दर्शन हानिप्रद माना जाता है।

पढ़ें :- Margashirsha Amavasya 2024 : मार्गशीर्ष अमावस्या पर करें ये काम, मिलेगा मां लक्ष्मी  का आशीर्वाद

भूमि पर बैठा नीलकंठ स्त्री शोक, शुष्ककाष्ठ पर बैठा नीलकंठ पुत्र शोक तथा जलाशय पर बैठा नीलकंठ-दर्शन व्यापार एवं संतति लाभ का सूचक होता है।

Hindi News से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक, यूट्यूब और ट्विटर पर फॉलो करे...