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Puzzle Challenge News : धरती पर पहले अंडा नहीं बल्कि मुर्गा-मुर्गी आए थे, रिसर्च में बड़ा खुलासा

What Came First Chicken Or Egg: दुनिया में पहले मुर्गा आया या अंडा? सालों से ये सवाल पूछा जाता रहा है। लंबे समय से इस सवाल को लेकर अलग-अलग दावे किए जाते रहे हैं, लेकिन अब वैज्ञानिकों का दावा है कि उन्होंने इस पहेली को सुलझा लिया है। तो आइए जानते हैं कि धरती पर कौन पहले आया, मुर्गी या अंडा? वैज्ञानिकों ने इस सवाल का क्या जवाब दिया है?

By संतोष सिंह 
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What Came First Chicken Or Egg: दुनिया में पहले मुर्गा आया या अंडा? सालों से ये सवाल पूछा जाता रहा है। लंबे समय से इस सवाल को लेकर अलग-अलग दावे किए जाते रहे हैं, लेकिन अब वैज्ञानिकों का दावा है कि उन्होंने इस पहेली को सुलझा लिया है। तो आइए जानते हैं कि धरती पर कौन पहले आया, मुर्गी या अंडा? वैज्ञानिकों ने इस सवाल का क्या जवाब दिया है?

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ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिस्टल  (University of Bristol) और चीन की नानजिंग यूनिवर्सिटी (Nanjing University of China) के वैज्ञानिकों का कहना है कि धरती पर पहले अंडा नहीं, मुर्गा-मुर्गी आए। लंबे शोध के बाद वैज्ञानिक इस निष्कर्ष पर पहुंचे। शोध नेचर इकोलॉजी एंड इवोल्यूशन (Research Nature Ecology & Evolution) में प्रकाशित हुआ है।

शोध रिपोर्ट (Research Report)में दावा किया गया कि हजारों साले पहले मुर्गा-मुर्गी ऐसे नहीं थे, जैसे आज हैं। वे अंडे नहीं, बल्कि बच्चे को जन्म देते थे। इसके बाद इनमें लगातार परिवर्तन होता चला गया। बच्चा देने वाले मुर्गे-मुर्गी की प्रजातियों में अंडे देने की क्षमता भी विकसित हो गई। इसलिए यह साफ तौर पर कहा जा सकता है कि पहले अंडा नहीं, मुर्गा-मुर्गी आए। शोधकर्ताओं का कहना है कि लाखों-करोड़ों साल पहले मुर्गे-मुर्गियों की तरह डायनासोर भी अंडे दिया करते थे।

कुछ अंडों में पहले से नहीं होता भ्रूण

शोधकर्ताओं का कहना है कि बच्चे को जन्म देने की क्षमता का अलग-अलग होना एक्सटेंडेड एम्ब्रायो रेटेंशन के कारण होता है। चिडिय़ा, मगरमच्छ और कछुए ऐसे अंडे देते हैं, जिनमें भ्रूण बिल्कुल नहीं बना होता। यह बाद में तैयार होता है। कुछ जीव ऐसे होते हैं, जो भ्रूण के साथ अंडे देते हैं। छिपकलियां और सांप अंडे भी देते हैं तथा बच्चों को भी जन्म दे सकते हैं, क्योंकि इन्हें हैचिंग की जरूरत नहीं होती।

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अंडे और बच्चे के जन्म की प्रक्रिया की जांच

शोध में 51 जीवाश्म और 29 जीवित प्रजातियों को ओविपेरस (डिम्ब ग्रंथी) वाले जीवों के रूप में वर्गीकृत किया गया। कठोर या नरम खोल वाले अंडे और बच्चे जन्म देने की प्रक्रिया की जांच की गई। ब्रिस्टल विश्वविद्यालय के प्रोफेसर माइकल बेंटन  (Professor Michael Benton, University of Bristol) का कहना है कि मछली के पंखों से अंगों को विकसित करने वाले टेट्रापोड्स मोटे तौर पर उभयचर थे। उन्हें भोजन और प्रजनन के लिए पानी में या उसके पास रहना पड़ता था।

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