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जब हिम्मत टूटे तो करें ये काम, जीवन से होगी दूर निराशा : कथावाचक जया किशोरी

कथावाचक जया किशोरी (Narrator Jaya Kishori) का नाम आज के दिन शायद ही कोई नहीं जानता होगा। जया किशोरी (Jaya Kishori) कथावाचक (Narrator) होने के साथ ही एक मोटिवेशनल स्पीकर (Jaya Kishori Motivational Speaker) और सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर (Jaya Kishori Social Media Influencer) भी हैं।

By संतोष सिंह 
Updated Date

नई दिल्ली। कथावाचक जया किशोरी (Narrator Jaya Kishori) का नाम आज के दिन शायद ही कोई नहीं जानता होगा। जया किशोरी (Jaya Kishori) कथावाचक (Narrator) होने के साथ ही एक मोटिवेशनल स्पीकर (Jaya Kishori Motivational Speaker) और सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर (Jaya Kishori Social Media Influencer) भी हैं। करोड़ों की संख्या में जया किशोरी (Jaya Kishori)  को मानने और उनमें आस्था रखने वाले लोग हैं। कई बार लोग अपने जीवन में निराशा से घिर जाते हैं और अपने धैर्य को छोड़ देते हैं। जिससे लोग सफलता के बेहद करीब पहुंच कर भी उसे हासिल नहीं कर पाते। आइए जानते हैं जब हिम्मत टूटे तो क्या कहती हैं जया किशोरी (Jaya Kishori) ।

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जानें क्या है कहानी?

बहुत साल पहले एक राज्य हुआ करता था इसके संबंध पड़ोसी राज्यों से बहुत अच्छे थे। इस राज्य की राजा भी अपनी प्रजा का बहुत ध्यान रखते थे। एक दिन विदेशी राज्य से एक मेहमान राजा के महल में आया और उन्हें एक सुंदर पत्थर भेंट किया। यह पत्थर राजा को बेहद पसंद आया। राजा ने अपने मंत्री को बुलवाया और कहा कि वे इस पत्थर से अपने मंदिर में भगवान की मूर्ति बनाना चाहते हैं। मंत्री उस पत्थर को लेकर पास के ही एक प्रसिद्ध मूर्तिकार के पास गया।

मूर्तिकार ने 50 चोटें मारी

मंत्री ने मूर्तिकार से इस पत्थर से 10 दिनों के अंदर भगवान की एक प्रतिमा बनाने को कहा। इसके बदले मंत्री ने मूर्तिकार से उपहार स्वरूप ढेर सारे आभूषण देने का वादा किया। मूर्तिकार ने पत्थर पर हथौड़े से करीब 50 चोटें मारी लेकिन पत्थर नहीं टूटा। मूर्तिकार ने एक बार फिर प्रयास किया लेकिन असफल रहा। अंत में वह थककर मंत्री को वापस पत्थर लौटा दिए। इस पत्थर को लेकर मंत्री एक साधारण मूर्तिकार के पास गए।

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जानें कहानी से क्या मिलती है सीख?

मूर्तिकार ने एक ही चोट में उस पत्थर को तोड़ दिया और उससे बेहद शानदार मूर्ति बनाकर मंत्री को दे दी। मंत्री ने खुश होकर उस मूर्तिकार को ढेर सारे रत्न उपहार में दिए। राजा के पास जाते हुए मंत्री रास्ते में ही सोच रहा था कि उसे मूर्तिकार ने अगर अंतिम चोट मार ली होती तो आज सारे उपहार उसे मिलते। इस कहानी से हमें यही सीख मिलती है कि हिम्मत हारकर किसी भी चीज को अधूरा नहीं छोड़ना चाहिए।

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