नई दिल्ली: एस्ट्राजेनेका-ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की ओर से विकसित गए कोरोना टीके कोविशील्ड की विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने जमकर तारीफ की है। WHO के पैनल ने बुधवार को कहा कि कोविशील्ड के फायदे किसी जोखिम के मुकाबले बहुत अधिक हैं और इन टीकों के इस्तेमाल के लिए सिफारिश की जानी चाहिए। पैनल ने कहा कि यह 65 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों के लिए भी सुरक्षित है।
यूनाइटेड नेशंस की हेल्थ एजेंसी ने कहा कि एस्ट्रेजेनेका वैक्सीन को परखने का काम आखिरी चरण में है और इस महीने के मध्य तक इसे इमर्जेंसी अप्रूवल दी जा सकती है। टीकाकरण पर WHO के स्ट्रैटिजिक अडवाइजरी ग्रुप ऑफ एक्सपर्ट पैनल (SAGE) ने जॉइंट ब्रीफिंग में कहा कि कोविशील्ड के टीकों का अधिक इस्तेमाल किया जाना चाहिए। साथ ही इस बात पर जोर दिया कि इसके फायदे किसी जोखिम से बहुत अधिक हैं।
WHO की मुख्य वैज्ञानिक सौम्या स्वामिनाथन ने कहा, ”हम उम्मीद करते हैं इस उत्पाद को जल्द इमर्जेंसी यूज के लिए मंजूरी मिल सकती है।” SAGE ने कहा कि इसके दो डोज दिए जाएं और इनके बीच 8 से 12 सप्ताह का गैप हो। इनका इस्तेमाल 65 या इससे अधिक उम्र के लोगों के लिए भी हो सकता है। SAGE के प्रमुख अलेजांद्रो क्राविओटो ने कहा कि साउथ अफ्रीका जैसे देशों में भी इसे इस्तेमाल नहीं किए जाने की कोई वजह नहीं है, जहां कोरोना वायरस के एक नए स्ट्रेन की वजह से एस्ट्रेजेनेका के टीकों के प्रभावीपन को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं।
उन्होंने कहा, ”हमने एक सिफारिश की है कि भले ही इस वैक्सीन की सुरक्षा क्षमता में पूर्ण प्रभाव होने की संभावना में कमी हो, विशेष रूप से गंभीर बीमारी के खिलाफ, इस बात का कोई कारण नहीं है कि इसका उपयोग उन देशों में भी नहीं किया जाए जहां नए स्ट्रेन फैल रहे हैं।” गौरतलब है कि साउथ अफ्रीका में एस्ट्रेजेनेका के टीकों का प्रयोग रोक दिया गया, क्योंकि कुछ एक छोटे ट्रायल के डेटा से यह बात सामने आई कि यह नए स्ट्रेन के हल्के से मध्यम संक्रमण से बचाव नहीं कर पा रहा है।