हिंडनबर्ग रिसर्च की आई हालिया रिपोर्ट में एक बड़ा दावा किया गया है। इस रिपोर्ट में भारतीय शेयर बाजार नियामक सेबी की प्रमुख माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। शनिवार देर रात आई रिपोर्ट में आरोप लगाया गया कि कथित अडाणी धन हेराफेरी घोटाले में इस्तेमाल किए गए अस्पष्ट ऑफशोर फंड में दंपती की हिस्सेदारी थी।
Hindenburg Research: हिंडनबर्ग रिसर्च की आई हालिया रिपोर्ट में एक बड़ा दावा किया गया है। इस रिपोर्ट में भारतीय शेयर बाजार नियामक सेबी की प्रमुख माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। शनिवार देर रात आई रिपोर्ट में आरोप लगाया गया कि कथित अडानी धन हेराफेरी घोटाले में इस्तेमाल किए गए अस्पष्ट ऑफशोर फंड में दंपती की हिस्सेदारी थी। हिंडनबर्ग रिसर्च की आई इस रिपोर्ट के बाद देश में एक बार फिर सियासी सरगर्मी बढ़ गयी है। विपक्षी दलों ने सरकार को घेरना शुरू कर दिया है।
इसके साथ ही निवेशकों को भी डर सताने लगा है। कहा जा रहा है कि, सोमवार जब ट्रेडिंग की शुरूआत होगी तो अडानी समूह के शेयरों में हलचल देखने को मिल सकती है। इससे पहले जब हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट आई तो आम जनता के लाखों—करोड़ों रुपये डूब गए थे। ऐसे में सवाल उठता है कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट की सरकार जांच क्यों नहीं कराती? अगर जांच सही पाया जाता है कि इस मामले में कार्रवाई की जाए। वहीं, हिंडनबर्ग की जांच रिपोर्ट गलत होती है तो उसके खिलाफ सरकार को एक्शन लेना चाहिए।
जांच के लिए गठित हो कमेटी
हिंडनबर्ग रिसर्च में जिन बातों के खुलासे हुए हैं उसकी जांच के लिए केंद्र की मोदी सरकार को एक जांच कमेटी का गठन करना चाहिए। इस कमेटी में सत्तापक्ष और विपक्ष के लोगों को भी शामिल किया जाना चाहिए। अगर जांच रिपोर्ट सही मिलती है तो इस मामले में सरकार को बड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। अगर ऐसा नहीं होता है तो हिंडनबर्ग के खिलाफ एक्शन लेना चाहिए।
शेयर बाजार में मचेगी हलचल
हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट आने के बाद सोमवार को शेयर बाजार में हलचल देखने को मिल सकती है। अडानी समूह के शेयरों में बड़ा उल्टफेर हो सकता है। अगर ऐसा हुआ तो निवेशकों के बहुत बड़ा झटका लगेगा और उनके रुपये डूब सकते हैं। ऐसे में सरकार को इस मामले की जांच करानी चाहिए, ताकि इसकी सच्चाई सामने आ सके।
पिछली बार भी डूबे थे अडाणी ग्रुप के निवेशकों के करोड़ों रुपये
अडाणी ग्रुप को लेकर हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट इससे पहले पिछले साल यानी 2023 में आई थी। इस रिपोर्ट के आने के बाद अडाणी ग्रुप के निवेशकों को बड़ा झटका लगा था और उनके करोड़ रुपये डूब गए थे। इस गिरावट का असर ओवरऑल बाजार पर भी देखने को मिला था।