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क्यों खाया था पांडवो ने अपने ही पिता के शरीर का मांस, जानिए महाभारत की इस अद्भुत घटना का राज

By टीम पर्दाफाश 
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नई दिल्ली: पाण्डु के पांच पुत्र थे युधिष्ठर, भीम, अर्जुन, नकुल और सहदेव। युधिष्ठर, भीम और अर्जुन कुंती के पुत्र थे और नकुल तथा सहदेव माद्री के पुत्र थे। यह पांचो पुत्र पाण्डु को उनकी पत्नियों द्वारा भगवान का आहवान करने पर प्राप्त हुए थे।

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पाण्डु के मन में यह बात थी कि उनके पाँचों पुत्र उन्हें भगवान के आहवान से प्राप्त हुए हैं। इसलिए उनमें पाण्डु जैसा ज्ञान व कौशल नही आ पाया था। इसलिए पाण्डु ने अपनी मृत्यु से पहले यह वरदान माँगा था कि उनके पाँचों पुत्र उनकी मृत्यु के पश्चात् उनके शरीर का मांस मिल बाँट कर खा लें ताकि पाण्डु का ज्ञान बच्चों में स्थानांतरित हो जाए। इसलिए जब पाण्डु की मृत्यु हुई तो उनके मृत शरीर का मांस पाँचों भाइयों ने मिल बांट कर खाया था।

माना जाता है कि पाण्डु के शरीर के मांस का ज्यादा हिस्सा सहदेव ने खाया था। इसलिए उसे सबसे अधिक ज्ञान था। जबकि एक अन्य मान्यता के अनुसार सिर्फ सहदेव ने ही पिता की इच्छा का पालन करते हुए उनके मस्तिष्क के तीन हिस्से खाये थे। जब सहदेव ने पहला टुकड़ा खाया तो सहदेव को इतिहास का ज्ञान हुआ, दूसरे टुकड़े को खाने पर वर्तमान का और तीसरे टुकड़े को खाते ही सहदेव को भविष्य का ज्ञान हो गया।

महाभारत में श्री कृष्ण के अलावा सहदेव ही केवल एक मात्र शख्स था। जिसे भविष्य में होने वाले महाभारत के युद्ध के बारे में सम्पूर्ण बातें पता थी। श्री कृष्ण को डर था कि कहीं सहदेव यह सब बाते औरों को न बता दे। इसलिए श्री कृष्ण ने सहदेव को श्राप दिया था कि यदि उसने ऐसा किया तो उसकी मृत्यु हो जायेगी।

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